वर्तमान समय की भागदौड़ भरे जीवन में अधिकांश लोग सपने तो बहुत देखते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए कदम उठाने से पहले ही सोच में उलझ जाते की कैसे शुरू करूं, क्या होगा?अगर असफल हो गया तो, लोग क्या कहेंगे? शायद मैं तैयार नहीं हूँ। ऐसी शंकाएँ हमें बार-बार रोक देती हैं। परंतु सच्चाई तो यही है कि सफलता सोचने वालों को नहीं, प्रयास करने करने वालों को मिलती है।
सोचने और करने में फर्क
सोचना भी ज़रूरी है, पर लगातार सोचते रहना और कार्य की शुरुआत न करना जीवन की सबसे बड़ी भूल भी है। सोचने में उलझे हुए व्यक्ति हमेशा ‘एक समय’ की प्रतीक्षा करते हैं, जबकि करने वाले व्यक्ति ‘आज’ से ही शुरुआत कर देते हैं। याद रखिए — जो पहला कदम बढाता है, वही मंज़िल तक पहुँचता है।
कार्रवाई ही सफलता की पहली सीढ़ी
किसी भी विचार का मूल्य तब तक शून्य है, जब तक हमारे द्वारा उसे कर्म में न बदला जाए। व्यक्ति चाहे कितनी भी योजनाएँ बना ले, जब तक आप कार्य शुरू नहीं करते, तब तक कुछ नहीं बदलता। हर सफल व्यक्ति की कहानी की शुरुआत पहले कदम से ही हुई है। डॉ. भीमराव अम्बेडकर, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, सचिन तेंदुलकर, या थॉमस एडिसन, इन सभी ने अपने विचारों को कर्म और अभ्यास के माध्यम से साकार किया है।
अभ्यास की असली ताकत
“Practice makes a man perfect.” यह केवल कहावत नहीं, बल्कि मानव जीवन का सत्य है। निरंतर अभ्यास हमें आत्मविश्वास देता है, भय को खत्म करता है और कार्य में निखार लाता है। जैसे एक किसान कुछ किलो अनाज पहले मिट्टी में मिलाता है, फिर कुछ महीने तक उसमें लगातार कार्य करता है, तब जाकर उसे उसका उचित लाभ मिलता है। एक संगीतकार रोज़ घंटों रियाज़ करता है, तब जाकर वह सुरों का जादू पैदा करता है। एक खिलाड़ी रोज़ मैदान में पसीना बहाता है, तभी जीत उसके कदम चूमती है। कह सकते हैं कि जीवन के हर क्षेत्र में अभ्यास ही सफलता का आधार है।
अत्यधिक सोचने की आदत से सावधान रहें
अत्यधिक सोचना भी एक मानसिक जाल है। यह व्यक्ति को निर्णय लेने से रोकता है और अवसरों को हाथ से छीन लेता है। अगर हम असफलता के भय से आगे कदम नहीं बढ़ाएँगे, तो जीवन भर पछतावा ही मिलेगा। ज्यादा सोचना बंद करो और करना शुरू करो, क्योंकि हर गलती एक नया सबक सिखाती है और हर प्रयास हमें सफलता की ओर ले जाता है।
निरंतर प्रयास से आत्मविश्वास
जब हम किसी भी कार्य को प्रतिदिन दोहराते हैं, तो धीरे-धीरे हमारे भीतर आत्मविश्वास का निर्माण होता है। शुरुवाती दौर में कठिनाई लग सकती है, लेकिन निरंतर अभ्यास से वह कठिनाई सरल बन जाती है। निरंतरता ही वह चाबी है, जो बंद दरवाज़ों को खोलती है।
सफलता का राज – कर्म पर अडिग विश्वास
पवित्र गीता जी में भी बोला गया कि अर्जुन कर्म कर फल की इच्छा मत कर, क्योंकि कर्म प्रधान है । हर महान व्यक्ति के जीवन की सफलता का रहस्य यही है — कर्म पर भरोसा। उदाहरण के तौर पर जैसे डॉ. भीमराव अंबेडकर और डॉ अब्दुल कलाम जी ने अवसरों का इंतज़ार नहीं किया, बल्कि कर्मों से अवसर बनाए। थॉमस एडिसन ने सैकड़ों असफलताओं के बावजूद रुकना नहीं सीखा। हर एक खिलाड़ी हर मैच से पहले मैदान पर घंटों अभ्यास किया करते हैं। उन सभी का संदेश एक ही है — निरंतर करते रहो, आगे बढ़ते रहो।
केवल कर्म ही नहीं, भक्ति में भी चाहिए अभ्यास
अक्सर मानव समाज में कहा जाता है कि भक्ति तो बुढ़ापे में करेंगे। सोचने की बात यह है कि अगर बुढ़ापा आने से पहले जीवन लीला ही समाप्त हो गया तो क्या करोगे? मनुष्य जीवन का प्रथम उद्देश्य केवल धन, पद या प्रसिद्धि नहीं है, बल्कि मोक्ष प्राप्त करना है। मोक्ष तभी संभव है जब हम पूर्ण सतगुरु से जुड़ कर निरंतर सतभक्ति का अभ्यास करें। कबीर साहब जी की वाणी है —
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में प्रलय होगी, बहुरि करोगे कब।।
इसका अर्थ यही है कि जो कार्य आप कल पर टाल रहे हो, उसे आज ही पूरा कर लो। क्योंकि जीवन का भरोसा नहीं, पलभर में सब छिन हो सकता है। केवल सांसारिक कर्मों में ही नहीं, बल्कि आध्यात्मिक साधना में भी अभ्यास बहुत ज़रूरी है। जिस प्रकार सफलता के लिए निरंतर कर्म आवश्यक है, ठीक उसी प्रकारआत्म कल्याण के लिए निरंतर भक्ति आवश्यक है।
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ज्यादा सोचना बंद करो और करना शुरू करो,
सिर्फ कर्मयोग में ही नहीं, बल्कि भक्तियोग में भी अभ्यास शुरू करो। क्योंकि जो आज अभ्यास करता है, वही कल सफलता और मोक्ष, दोनों प्राप्त करता है।
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