Secularism in India [Hindi] |भारत देश की धर्म निरपेक्षता

Secularism in India [Hindi] भारत देश की धर्म निरपेक्षता

Secularism in India [Hindi] | नमस्कार दर्शकों! खबरों की खबर का सच स्पेशल कार्यक्रम में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। आज की स्पेशल पड़ताल में हम भारत देश की धर्मनिरपेक्षता और धार्मिक आजादी के बारे में चर्चा करेंगे और साथ ही देश दुनिया के कुछ अन्य देशों की धार्मिक आजादी की दशा के बारे में भी जानेंगे।

दोस्तों! भारत का संविधान धर्मनिरपेक्ष होने के कारण यह किसी धर्म विशेष को मान्यता नहीं देता है। भारतीय धर्मनिरपेक्षता पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता से भिन्न है क्योंकि भारत में पूर्ण रूप से सभी धर्मों का सम्मान किया जाता है। भारत के संविधान में देश के नागरिकों की धार्मिक स्वतंत्रता के लिए कई प्रावधान है, जिसके तहत देश के किसी भी नागरिक को कोई भी धर्म अपनाने की अनुमति होती है।

Secularism in India [Hindi] | भारतीय धर्मनिरपेक्षता क्या है?

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य राजनीति या किसी गैर-धार्मिक मामले से धर्म को दूर रखे तथा सरकार धर्म के आधार पर किसी से भी कोई भेदभाव न करे। धर्मनिरपेक्षता का अर्थ किसी के धर्म का विरोध करना नहीं है बल्कि सभी को अपने धार्मिक विश्वासों एवं मान्यताओं को पूरी आज़ादी से मानने की छूट देता है।
धर्मनिरपेक्ष शब्द, भारतीय संविधान की प्रस्तावना में बयालीसवें संशोधन (1976) द्वारा डाला गया था। भारत का इसलिए एक आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है।
धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव हैं 1) राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। 2) सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है।

भारत की जनसंख्या के लगभग 80% लोग हिन्दू धर्म का अनुसरण करते हैं। वहीं 15% इस्लाम 0.7% बौद्ध धर्म, 2.3% ईसाई धर्म और 1.72% सिख धर्म का अनुसरण करते हैं। इसके अलावा भारत में जैन, यहूदी और पारसी धर्म आदि काफी प्रचलित हैं।

संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद मौजूद हैं जिनके आधार पर भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य कहा जा सकता है-

  • भारत में संविधान द्वारा नागरिकों को यह विश्वास दिलाया गया है कि उनके साथ धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।
  • संविधान में भारतीय राज्य का कोई धर्म घोषित नहीं किया गया है और न ही किसी खास धर्म का समर्थन किया गया है।
  • संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार भारतीय राज्य क्षेत्र में सभी व्यक्ति कानून की दृष्टि से समान होगें और धर्म, जाति अथवा लिंग के आधार पर उनके साथ कोई भेदभाव नहीं किया जायेगा।
  • अनुच्छेद 15 के अनुसार धर्म, जाति, नस्ल, लिंग और जन्म-स्थान के आधार पर भेदभाव पर पाबंदी लगाई गई है।
    *अनुच्छेद 16 में सार्वजनिक रोजगार के क्षेत्र में सबको एक समान अवसर प्रदान करने की बात की गई है (कुछ अपवादों के साथ) ।
    *इसके साथ भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 25 से 28 तक धार्मिक स्वतन्त्रता का मूल अधिकार भी प्रदान किया गया है।
  • अनुच्छेद 44 में प्रावधान किया गया है कि भारत अपने सभी नागरिकों के लिये समान नागरिक संहिता बनाने का प्रयास करेगा।
  • अनुच्छेद 28 के द्वारा सरकारी शिक्षण संस्थाओं में किसी प्रकार की धार्मिक शिक्षा नहीं दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

भारत एक विविध धर्मों वाला देश है

भारत की विशेषता उसकी विभिन्न धार्मिक प्रथाएं और विश्वास है। पहले केवल एक धर्म था और वह था सनातन धर्म जिसका पालन तीन युगों तक किया गया सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग परंतु कलयुग आते आते कई अन्य अनेक धर्मों का जन्म हुआ। भारत की इस आध्यात्मिक भूमि ने कई धर्मों को जन्म दिया है, जैसे हिंदू धर्म, सिख धर्म, मुस्लिम, ईसाई, जैन धर्म और बौद्ध धर्म।

Secularism in India [Hindi] | यह धर्म मिलकर उपसमूह बनाते हैं जिन्हें पूर्वी धर्मों के रुप में जाना जाता है। भारत के लोगों को धर्मों पर बहुत ज्यादा विश्वास है और वो मानते हैं कि यह उनके जीवन को एक अर्थ और उद्देश्य देते हैं। यहां पर धर्म सिर्फ मान्यताओं तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इनमें नैतिकता, रिवाज़, संस्कार, जीवन दर्शन के अलावा और भी बहुत कुछ है।

Secularism in India [Hindi] | धार्मिक आस्था से निकले हुए कई पंथ

आज भारत में उपस्थित धार्मिक आस्थाओं की विविधता देश में प्रचलित धार्मिक पंथों से भी जानी जाती है। देश में अलग अलग महापुरुषों की विचारधारा पर आधारित कई पंथों का निर्माण किया गया है। ब्रह्माकुमारी, धन धन सतगुरु, डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी, निरंकारी, स्वामीनारायण, आर्य समाज, कबीर पंथ, आदि धार्मिक पंथ भारत में अत्यधिक प्रचलित है।

यदि हम भारत की धार्मिक आजादी से जुड़े कानूनों की बात करें तो वे कुछ इस प्रकार हैं;

भारत के संविधान ने यहां रह रहे नागरिकों को कुछ मौलिक अधिकार दिए हैं। उन्हीं अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है जिसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 25 से लेकर 28 तक में मिलता है। भारत में यह अधिकार हर एक व्यक्ति या यूं कहें कि नागरिकों को समान रूप से प्राप्त है। धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार नागरिकों को प्राप्त 6 मौलिक अधिकारों में से चौथा अधिकार है और इनका वर्णन संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद 12 से अनुच्छेद 35 में मिलता है।

Secularism in India [Hindi] | अनुच्छेद 25 के तहत भारत में प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म को मानने की, आचरण करने की तथा धर्म का प्रचार करने की स्वतंत्रता है। अनुच्छेद 26 के अनुसार व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना और पोषण का, अपने धर्म विषयक कार्यों का प्रबंध करने का, जंगम और स्थावर संपत्ति के अर्जन और स्वामित्व का और ऐसी संपत्ति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का अधिकार मिलता है।

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अनुच्छेद 14 के अनुसार देश के किसी भी व्यक्ति को क़ानून के समक्ष समान समझा जाता है। वहीं किसी भी व्यक्ति से धार्मिक आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अनुच्छेद 15 के मुताबिक किसी भी धर्म के व्यक्ति को सार्वजनिक सेवाओं में सभी नागरिकों को समान अवसर दिए जाएंगे। अनुच्छेद 16 में लिखा है की प्रत्येक व्यक्ति को किसी भी धर्म के अनुपालन की स्वतंत्रता है और उस धर्म में प्रचलित पूजा अर्चना करने की भी आजादी है।

भारत और अन्य देशों की धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति क्या है?

अमेरिका ने धार्मिक स्‍वतंत्रता को लेकर एक लिस्‍ट जारी की है, अमेरिका ने कहा कि कई देशों में धार्मिक स्‍वतंत्रता को लेकर चिंताजनक हालात हैं। म्यांमार, चीन, इरिट्रिया, ईरान, नॉर्थ कोरिया, पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान ऐसे 10 देश है जहां पर धार्मिक आजादी एक चिंता का विषय बना हुआ है। यहां पर लोगों की धार्मिक स्‍वतंत्रता बाधित हो रही है। वहीं अल्‍जीरिया, कोमोरोस, क्‍यूबा और निकारगुआ को स्‍पेशल वॉच लिस्‍ट में रखा गया है। वहीं इस लिस्ट में तालिबान को दुनिया का सबसे खतरनाक धार्मिक संगठन बताया गया है।

Secularism in India [Hindi] | समय समय पर अमरीका द्वारा अंतरराष्ट्रीय धार्मिक आजादी पर रिपोर्ट जारी की जाती रही है जिसमें कई बार भारत के हालात को लेकर भी विशेष चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है की कई देशों में सरकारें लोगों को धर्म के नाम पर परेशान कर रही हैं। कई देशों में लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है, धमकाया जा रहा है और जेल में डाला जा रहा है। यहां तक कि लोगों को जान से मार दिया जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है कि वे अपने धार्मिक विश्‍वास के अनुसार जीना चाह रहे हैं।

वर्तमान समय में धर्म के नाम पर समाज में ठगी, पाखंडवाद, लव जिहाद, हिजाब, धार्मिक दंगे, मारकाट ,षडयंत्र , राजनीति आदि चीजें दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। एक तरफ जहां प्राचीन काल में धर्म को नैतिकता, शिष्टाचार और संस्कारों का जनक माना जाता था जिससे की समाज में आपसी भाईचारा और शांति स्थापित होती थी वहीं वर्तमान परिस्थिति ठीक इस से ठीक विपरीत है। आज धर्म को सत्ता और पद प्राप्त करने का साधन बना दिया गया है। धर्म के नाम पर देश दुनिया में अराजकता और क्रूरता दिन प्रतिदिन फैलती जा रही है जिससे की मानव समाज आपस में बंटता चला जा रहा है।

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से धर्म की सच्ची परिभाषा समझते हैं

धर्म आत्मकल्याण के उस पवित्र मार्ग को कहते हैं जो मानव समाज को जीवन जीने की एक सच्ची परिभाषा सिखाए। धर्म का ज्ञान हो जाने से मानव को सही और गलत कर्म की जानकारी प्राप्त हो जाती है जिससे वे समाज में आपसी भाईचारा व शांति को कायम रख सके। धर्म कर्म के विषय में कबीर साहेब जी अपनी अमृतमयी वाणी में कहते हैं;

कबीर, पहले अपने धर्म को, भली भांति सिखलाय।
अन्य धर्म की सीख सुनि, भटकि बाल बुद्धि जाय।।

भावार्थ:- बच्चों को या परिवार के अन्य सदस्यों को पहले अपने धर्म का ज्ञान पूर्ण रूप से कराना चाहिए। जिनको अपने धर्म यानि धार्मिक क्रियाओं का ज्ञान नहीं, वह बालक जैसी बुद्धि का होता है। वे अन्य धर्म पंथ की शिक्षा सुनकर भटक जाते हैं। जिनको अपने धर्म पंथ का सम्पूर्ण ज्ञान है, वह भ्रमित नहीं होता।

वर्तमान समय में सभी मानव अपने अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं और अपने धर्म में प्रचलित धार्मिक क्रियाओं को करते हैं किंतु आमतौर पर वह खुद अपने ही धर्म को सही से समझ नहीं पाते। किसी भी धर्म को ठीक से समझने का सबसे सरल और सटीक तरीका उस धर्म के धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करने से होता है क्योंकि आमतौर पर धर्म का वहन करने वाले लोग अपने ही धर्म के विषय में यथार्थ जानकारी नहीं रखते।

Secularism in India [Hindi] | वर्तमान समय में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज सभी धर्मों के पवित्र सद्ग्रंथों को खोलकर सबका मालिक एक पूर्ण परमात्मा की यथार्थ भक्ति विधि बता रहे हैं और साथ ही धर्म की वास्तविक जानकारी दे रहे हैं। संत रामपाल जी महाराज का नारा है,

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

संत रामपाल जी महाराज जी की शिक्षा पर चलते हुए उनके शिष्य समाज में व्याप्त तमाम प्रकार की बुराइयों का डट कर सामना करते है और समाज में आपसी भाईचारा व शांति स्थापित करने के लिए दिन रात प्रयत्नशील रहते हैं। संत रामपाल जी महाराज का मुख्य उद्देश्य पृथ्वी को स्वर्ग समान बनाना है। कबीर साहेब जी की शिक्षाओं के आधार से वे बताते हैं,

कबीर, क्षमा समान न तप, सुख नहीं संतोष समान।
तृष्णा समान नहीं ब्याधी कोई, धर्म न दया समान।।

भावार्थ:- परमेश्वर कबीर जी ने कहा है कि क्षमा करना बहुत बड़ा तप है। इसके समान तप नहीं है। संतोष के तुल्य कोई सुख नहीं है। किसी वस्तु की प्राप्ति की इच्छा के समान कोई आपदा नहीं है और दया के समान धर्म नहीं है।

संत रामपाल जी महाराज जी बताते हैं की विश्व के सर्व धर्म उत्तम धर्म हैं। कोई धर्म दूसरे से बड़ा नहीं। सृष्टि के आदि काल में जब कोई धर्म नहीं था तब नेक पुरुष मानवता को ही अपना धर्म कर्म मानते थे। लेकिन दुर्भाग्यवश आज समाज से दिन प्रतिदिन मानवता का ह्रास होता चला जा रहा है। भारत का धर्मनिरपेक्ष सिद्धांत राजनीति में तबदील हो चुका है जिस कारण पूरे भारत में अंशाति और असमाजिकता फैल रही है।

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इस विडियो को देखने वाले सर्व धर्म के लोगों से निवेदन है कि कृपया संत रामपाल जी महाराज जी के सत्संग प्रवचनों को सुनें और धार्मिक सदग्रंथों को पढ़ें व समझें जिससे हम एक बार फिर से एकजूट हो सकें। ताकि फिर कोई हमारी धर्म निरपेक्षता और एकजुटता को तोड़ न सके और हम सब मिलकर अखंड भारत का निर्माण कर सकें।

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