श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले (Shri Krishna Janmabhoomi Case) की सुनवाई की मंजूरी, शाही ईदगाह में सुरक्षा को लेकर प्रार्थना पत्र दाखिल

Shri Krishna Janmabhoomi Case hindi

Shri Krishna Janmabhoomi Case: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद पर कोर्ट ने बड़ा फैसला किया है. कोर्ट ने जमीन विवाद पर सुनवाई की अर्जी स्वीकार कर ली. अब इस विवाद पर निचली अदालत में केस चलेगा.

Shri Krishna Janmabhoomi Case [Hindi] | जानिए क्या है मामला

रंजना अग्निहोत्री सुप्रीम कोर्ट की वकील हैं और राम जन्मभूमि अयोध्या मामले में भी उन्होंने कोर्ट में मुकदमा दायर किया था, उन्होंने श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा किया था कि ये जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की है और यहां पर शाही ईदगाह का निर्माण किया गया है. ईदगाह की जमीन पर भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि और मंदिर का गर्भगृह है. इसको लेकर रंजना अग्निहोत्री और अन्य वकीलों ने याचिका दाखिल की थी.

‘यहां से ईदगाह की जमीन पर मालिकाना हक का दावा’ 

मथुरा डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज राजीव भारती ने ये फैसला सुनाया है. इस मामले में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री (जोकि खुद के कृष्ण भक्त होने का दावा करती हैं) समेत 6 वादी हैं, ये अपील साल 2020 में दायर की गई थी, जिसमें ईदगाह की जमीन पर मालिकाना हक मिलने का दावा किया गया था.

Shri Krishna Janmabhoomi Case | जिला अदालत ने की अर्जी स्वीकार

गौरलतब है कि सिविल जज की अदालत से ये वाद 30 सितंबर 2020 को खारिज हुआ था. लोअर कोर्ट से खारिज होने के बाद जिला जज की अदालत में अपील की गई. साल 2020 से चल रही लंबी बहस और सुनवाई के बाद इस मामले में फैसला आया है. जिला जज की अदालत ने श्रीकृष्ण विराजमान की रिवीजन पिटीशन को किया स्वीकार कर लिया है.

प्रार्थना पत्र में यह लिखा गया है

प्रार्थना पत्र में मांग करते हुए प्रार्थी महेंद्र प्रताप सिंह ने कोर्ट में दाखिल प्रार्थना पत्र में लिखा है, “ज्ञानवापी मस्जिद में जिस प्रकार से अवशेष मिले हैं, उससे स्थिति स्पष्ट हो गयी है कि प्रतिवादिगण प्रारम्भ से ही इसी कारण विरोध करते रहे. यही स्थिति सम्पत्ति श्री कृष्ण जन्मभूमि की है. जो असली गर्भ गृह है, वहां पर सभी हिन्दू धार्मिक अवशेष कमल, शेषनाग, ॐ, स्वस्तिक आदि हिन्दू धार्मिक चिन्ह व अवशेष हैं.

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जिसमें से कुछ को मिटा दिया गया है. कुछ को प्रतिवादिगण मिटाने के प्रयास में हैं. इस स्थिति में अगर हिन्दू अवशेषों को मिटा दिया गया तो कैरेक्टर ऑफ प्रोपर्टी चेंज हो जाएगी. जिससे वाद का उद्देश्य व साक्ष्य समाप्त हो जाएंगा. ऐसे में वादी गण की अपूरणीय व सख्त हक तल्खी होगी.

शाही ईदगाह में आवाजाही पर लगे रोक, मिले सुरक्षा

मथुरा की अदालत में दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र में वादी ने तत्काल शाही ईदगाह में आवाजाही पर रोक व सुरक्षा की मांग की है. इसके अलावा वादी ने मांग की है कि मथुरा के एसएसपी, जिलाधिकारी व सीआरपीएफ के कमाण्डेन्ट को निर्देशित किया जाए कि उक्त मुकद्दमे की सम्पत्ति, यानी शाही ईदगाह को सील करें. साथ ही परिसर के लिए सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करें.

Shri Krishna Janmabhoomi Case | ज्ञानवापी मस्जिद की तर्ज पर मथुरा में हो सर्वे

खुदाई करने पर जेल के भी अवशेष मिलेंगे। इसीलिए उनकी मांग है कि यहां भी वाराणसी की तर्ज पर सर्वे कराया जाए। कमिश्नर की नियुक्ती की जाए। वाद दाखिल करने वाले नाराणसी सेना के मनीष यादव ने आशंका जताई है कि मुस्लिम समाज के लोग इन साक्ष्यों को नष्ट भी कर सकते हैं। इसलिए उनकी मांग है कि जल्द से जल्द इसका खुलासा किया जाए।

फिलहाल प्रवेश लगा दी गई है रोक

अखिल भारतीय हिंदू महासभा के उपाध्यक्ष अनिल शास्त्री का कहना है कि पंडित मदनमोहन मालवीय ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि 13400 रुपये में इसकी रजिस्ट्री करवाई थी। ईदगाह गैरकानूनी तौर पर बनी है। हैरत की बात है कि हिंदुओं का इसमें प्रवेश वर्जित है।

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केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही इसमें जाने की इजाजत है। उनका कहना है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 केवल मंदिरों पर लागू होता है। मस्जिद और मजार पर यह एक्ट लागू नहीं होता है। फिर भी यहां प्रशासन ने प्रवेश पर रोक लगाई गई है। वे चाहते है कि कोर्ट उन्हें मस्जिद में दाखिल होने की इजाजत दे।

याचिका में क्या है मांग

  1. श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि के मालिकाना हक को लेकर अर्जी दाखिल है।
  2. कारागार के ऊपर मस्जिद निर्माण की बात
  3. याचिका में दावा कि जिस जगह पर मस्जिद है वहां कारागार है जिसमें आराध्य श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।  
Credit | Lokmat Hindi

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