वायु गुणवत्ता बिगड़ने की तैयारी: बड़े मेट्रो शहरों को चेतावनी

वायु गुणवत्ता बिगड़ने की तैयारी बड़े मेट्रो शहरों को चेतावनी

जैसे‑जैसे Diwali का पर्व नजदीक आ रहा है, भारत के बड़े शहरों में वायु गुणवत्ता पर चिंता बढ़ गई है। भारत ट्रॉपिकल मौसम संस्थान (IITM) ने आगामी दिन‑रात में PM2.5 तथा अन्य सूक्ष्म कणों के (fine particulate matter) स्तरों में तीव्र वृद्धि की भविष्यवाणी की है। 

वायु गुणवत्ता की मेट्रो शहरों में स्थिति

  • दिल्ली‑एनसीआर में हाल ही में हवा की गुणवत्ता “खराब” श्रेणी में रही और सप्ताहांत में “बहुत खराब” तक गिरने की संभावना जताई गई है, जब तापमान नीचे गिरने लगा और हवा की गति कम हुई।
  • मुंबई एवं पुणे में PM2.5 अब 50–60 µg/m³ से 250–300 µg/m³ तक बढ़ने का अनुमान है, जिससे वहाँ की एयर क्वालिटी “बहुत खराब” श्रेणी में जा सकती है।
  • अन्य शहर जैसे हैदराबाद, अहमदाबाद और बैंगलुरु भी इस वृद्धि‑प्रक्रिया से अछूते नहीं हैं।

वायु गुणवत्ता बिगड़ने के कारण‑कारक

IITM तथा अन्य पर्यावरण अनुसंधान संस्थानों ने निम्नलिखित मुख्य कारणों की ओर इशारा किया है:

  • आतिशबाजी और पटाखों से उत्सर्जित उत्सर्जन
  • किसानों द्वारा पराली जलाना (stubble‑burning) जो हवा में PM2.5 और अन्य कणों को भेजता है
  • सर्दियों की शुरुआत में हवा कम चलना और तापमान गिरना, जिससे प्रदूषक सतह के निकट थम जाते हैं
  • निर्माण कार्यों से निकलने वाला धूल‑पिंड, वाहनों से निकलने वाला धुआँ, व कारखानों का उत्सर्जन

स्वास्थ्य एवं प्रशासनिक प्रतिक्रिया

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बच्चों, बुजुर्गों तथा हृदय या श्वसन रोगों वाले लोगों में इन उच्च प्रदूषण‑स्तरों का प्रभाव विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है। 

प्रशासन ने GRAP (Graded Response Action Plan) को सक्रिय किया है, पानी छिड़काव, धूल‑नियंत्रण, निर्माण कार्य रोकने जैसे कदम उठाए गए हैं। 

तैयारी और बचाव: क्या कर सकते हैं शहर और नागरिक

प्रशासनिक उपाय

मेट्रो नगर निगम एवं प्रदूषण‑नियंत्रण बोर्ड ने निम्न उपाय शुरू किये हैं:

  • आतिशबाजी‑समय एवं प्रकार पर नियंत्रण
  • ग्रीन पटाखों (कम धुआँ उत्पन्न करने वाले) को प्रोत्साहन
  • मुख्य प्रदूषण‑क्षेत्रों में पानी‑स्प्रे व सड़क‑सफाई बढ़ाना
  • विद्यालयों, अस्पतालों को विशेष चेतावनी देना

नागरिकों के लिए सुझाव

शहरवासी इन कदमों पर अमल कर सकते हैं:

  • आतिशबाजी और पटाखों का उपयोग कम करना या टालना
  • मास्क पहनना, विशेष रूप से पीएम2.5‑सेंसिटिव समूहों को
  • बाहर की गतिविधियाँ कम करना, विशेष रूप से सुबह‑शाम के समय
  • एयर‑प्यूरिफायर या इंडोर हवा‑शुद्धिकरण पर विचार
  • सार्वजनिक परिवहन व कारपूलिंग का उपयोग बढ़ाना

पर्यावरण‑सजग दिवाली: बाहरी नहीं, भीतरी प्रकाश का उत्सव

धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से दिवाली को परंपरागत रूप से प्रकाश, उत्सव और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। लेकिन सतज्ञान की दृष्टि से यह महज़ दीप‑जगमगाहट नहीं, बल्कि आत्मिक प्रकाश के जागरण का अवसर होना चाहिए,  जहाँ हम न केवल अपने घरों को बल्कि अपने विचारों, जीवनशैली और पर्यावरण के प्रति उत्तरदायित्व को भी प्रकाशित करें।

Sant Rampal Ji Maharaj के अनुसार, “जब हम बाहरी दीप की चमक से आगे बढ़कर भीतर के ज्ञान‑दीप को प्रज्वलित करते हैं, तभी दिवाली वास्तव में सार्थक बनती है।” यह दिवाली सिर्फ रोशनी की नहीं, जागरूकता और संतुलन की भी होनी चाहिए — जहाँ प्रदूषण की बजाय परिशुद्धता, अंधकार की बजाय विवेक, और उपभोग की जगह समत्व का चयन किया जाए।

आने वाला समय: चेतावनी और समाधान की ज़रूरत

दिवाली के ठीक बाद का दौर अक्सर प्रदूषण की चपेट में आ जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि पटाखों का उपयोग, वाहनों का अत्यधिक उत्सर्जन और निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल अनियंत्रित रहे, तो कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 से भी ऊपर पहुँच सकता है — जो कि ‘बहुत ख़राब’ (Very Poor) श्रेणी में आता है।

Read Also: आगे आने वाले समय में ऐसे मनाएं “दीवाली”

यह संकट केवल मौसम का नहीं, बल्कि हमारी नीति और व्यवहार का भी है। इसलिए मेट्रो शहरों में दीर्घकालीन रणनीति, सख्त पर्यावरणीय नियमन और जन-सहभागिता को मिलाकर एक समग्र समाधान तैयार करना आवश्यक है।

त्यौहारों का उत्सव उत्साहपूर्ण अवश्य हो, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इस उत्साह में हम चेतना और ज़िम्मेदारी न खो बैठें।

Vedio Credit: News18 Up Uttrakhand

FAQs: दिवाली‑पूर्व वायु गुणवत्ता चेतावनी

Q1. किन शहरों में PM2.5 स्तर बढ़ने की आशंका है?

दिल्ली, मुंबई, पुणे, बैंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद आदि प्रमुख मेट्रो शहर। 

Q2. क्या आतिशबाजी व पाराली जलाना मुख्य कारण हैं?

हाँ, आतिशबाजी द्वारा उत्सर्जित कण और पराली जलाने से निकलने वाला धुआँ प्रमुख योगदान देते हैं। 

Q3. उच्च PM2.5 क्या स्वास्थ्य‑जोखिम बनाता है?

अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, हृदय रोगों में वृद्धि; बच्चों व बुजुर्गों में विशेष जोखिम। 

Q4. प्रशासन क्या कर रहा है व नागरिक क्या करें?

प्रशासन GRAP सक्रिय कर रहा है—निर्माण कार्य नियंत्रण, पानी‑स्प्रे, ग्रीन पटाखे समर्थन। नागरिक मास्क पहनें, पटाखे कम करें।

Q5. क्या मौसम‑परिवर्तन ने मदद की है?

कुछ स्थानों पर हल्की बारिश की संभावना है जो अचानक सुधार ला सकती है, पर पूर्ण राहत नहीं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *