Vishwakarma Jayanti 2023: भगवान विश्वकर्मा जिन्हें दुनिया का पहला वास्तुकार माना जाता है, 16 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा की जयंती को प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है।
Vishwakarma Jayanti 2023 Puja
विश्वकर्मा की पूजा हर वर्ष आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को की जाती है। कहा जाता है कि विश्वकर्मा दुनिया के पहले इंजीनियर और शिल्पकार थे जिन्होंने देवी देवताओं के अस्त्र शस्त्रों और मंदिरों का निर्माण किया था। विश्वकर्मा ऐसे इंजीनियर थे जिन्होंने कल कारखानों में मशीनों और पुर्जों का निर्माण किया था और इसी कारण से उनकी जयंती पर सभी उद्योगों फैक्ट्रियों में विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। इस दिन सभी कलाकार, बुनकर और शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं।
माना जाता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा – अर्चना किए बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता है। इसीलिए भगवान विश्वकर्मा की जयंती पर विभिन्न कार्यों में प्रयुक्त होने वाले औजारों तथा कल-कारखानों में लगी मशीनों की पूजा की जाती है।
Vishwakarma Jayanti 2023: Why is Lord Vishwakarma worshiped
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार विश्वकर्मा की पूजा करने से घर और कार्य में सुख समृद्धि आती है। कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के दिन कल कारखानों में पूजा करने से कारोबार बढ़ता है, और कभी आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। भगवान विश्कर्मा ऐसे देवता हैं जो हर काल में सृजन के देवता रहे हैं, आज संसार में जो भी मशीनरी की चीजें हैं जिनसे जीवन का संचालन हो रहा है वह सब भगवान विश्कर्मा की देन है। भगवान विश्कर्मा की पूजा करके उन्हें सृजन के लिए धन्यवाद दिया जाता है, इस दिन सभी उद्योग और फैक्ट्रियों के कर्मचारी और अधिकारी मशीनों की पूजा अर्चना करते हैं।
Arbitrary conduct is futile by abandoning Scripture
पवित्र श्रीमद्भगवद्गीता गीता अध्याय 16 के श्लोक 23 और 24 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन जो शास्त्रविधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं, उनको न तो कोई लाभ प्राप्त होता, ना ही उनको किसी प्रकार का सुख मिलता और ना ही मोक्ष की प्राप्ति होती। पवित्र गीता अध्याय 15 के श्लोक 1 से 4 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि जो संत इस उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष के मूल से लेकर पत्तों तक ठीक ठीक बता देगा वह तत्वदर्शी संत है, तो आज वह तत्वदर्शी संत केवल रामपाल जी महाराज है।
■ Also Read | भारत में क्यों मनाया जाता है Engineer’s Day क्या है इसका इतिहास?
Who is the true Satguru in this world
दुनिया के सभी देशों में भारत एक ऐसा देश है जहां अलग अलग धर्म और संस्कृति को माना जाता है, और यही कारण है कि भारत में हजारों लाखों व्यक्ति गुरु पद पर विराजमान है। लेकिन हमें यह जानना बेहद जरूरी होगा कि उन हजारों लाखों की भीड़ में आखिर वह सच्चा आध्यात्मिक गुरु कौन है, जो गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में लिखे ओम तत् सत मंत्र का सही भेद समझा देगा, वह वास्तव में सच्चा अध्यात्मिक गुरु है। तो दोस्तों इस दुनिया में वह महान संत तथा सच्चे अध्यात्मिक गुरु केवल जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज है, जिनका ज्ञान वेद और शास्त्रों से मेल खाता है तथा जिनको पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति हुई। वर्तमान समय में पूरे विश्व में एकमात्र तत्वदर्शी संत, पूर्ण गुरु केवल संत रामपाल जी महाराज है जो वेद और शास्त्रों के अनुसार यथार्थ भक्ति मार्ग बता रहे हैं।
How is the Nature of the complete Divine
पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 1 ,6 और 8, में तथा ऋग्वेद मंडल 1 सुक्त 31 मंत्र 17 तथा सुक्त 86 मंत्र 26, 27 में प्रमाण है कि परमात्मा साकार है।
Who is the Absolute Divine
ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 86 मंत्र 17, 18 ,19 और 20 में प्रमाण है कि वह एक परमात्मा सबका मालिक एक कबीर साहेब जी है। पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य है।
अपने जीवन को सफल बनाने के लिए आज ही जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नामदिक्षा लेकर मानव जीवन को सफल बनाएं और सभी बुराईयो से छुटकारा पाकर सुखी जीवन जिएं। दुनिया की सबसे अधिक डाउनलोड की जाने वाली सबसे लोकप्रिय आध्यात्मिक बुक जीने की राह आप भी इसे जरूर पढ़ें