What is Casteism and its Impact on People? [Hindi] | Tubelight Talks

What is Casteism and its Impact on People [Hindi] Tubelight Talks

खबरों की खबर का सच कार्यक्रम में आप सभी का स्वागत है। अक्सर देखने को मिलता है कि किसी भी सरकारी कार्य हो उसमें व्यक्ति की जाति जरूर पूछी जाती है और जाति के आधार पर सरकारी नौकरिया मिलना एक आम बात है।

What is Casteism and its Impact on People [Hindi] Tubelight Talks

तो आज के इस कार्यक्रम में हम बात करेंगे जातिवाद के कारण होने वाले भेद भाव की। जाति जिसे english मे cast बोला जाता है ये है क्या ? कैसे बनी? किसने बनाई? क्यों बनाई? आज हम इस कार्यक्रम मे जातियों में होने वाले भेद भाव के पीछे का रहस्य बताएंगे और जानेंगे कि आखिर जातियां बनाई ही क्यों गई? जब सब मनुष्य हैं सबका शरीर एक समान है तो पैदा होते ही ऐसा क्या होता है कि हमें विभिन्न जातियों में बांट दिया जाता है आखिर यह भेदभाव क्यों ?

हमारी विशेष पड़ताल और सवालों के जबाव

जिन जातियों को लेकर आज लोग आपस मे लड़ते व झगड़ते हैं, वो जातियां किसने बनाई? भगवान ने इंसान बनाये थे, परन्तु आज इंसान अलग अलग जातियां बनाकर भिन्न भिन्न जातियों में बट गए हैं। कोई ब्राह्मण बन गया तो कोई क्षत्रिय, कोई वैश्य बना तो कोई क्षुद्र। जब सब मनुष्यो के शरीर एक जैसे है, सब के शरीर मे एक जिस लहू बह रहा है। तो फिर ये जातियां क्यों?

हलाकि वर्णों में कोई शारीरिक विभिन्नता नहीं है। ऐसा माना जाता है कि समस्त जगत पहले ब्राह्मन्मय वर्ण का ही था। सब अच्छे कर्म किया करते थे। परंतु धीरे धीरे अच्छे बुरे कर्मों अनुसार सब अलग अलग वर्णों में बंट गए। जो ब्राह्मण साहसी, क्रोधी और धर्म त्याग कर राजसी हो गए वे क्षत्रिए कहलाये, जो कृषि जीवी हुए वो वैश्य बने, सामाजिक रूप से पिछड़े लोग क्षुद्र कहलाये।
इस तरह गुण कर्म और स्वभाव की विभिन्नता के कारण ब्राह्मण अलग अलग वर्णों में बंट गए। आजकल यही जातियां schedule caste, Schedule tribe, Backward caste जिसे पिछड़ा वर्ग बोला जाता है, other backward caste, General castes में बंटी हुई हैं। सैंकड़ो वर्ष बीत गए पर जातिवाद नहीं मिटा।

आज वर्तमान में लोगो की स्थिति ऐसी है कि कहते हैं

“लड़ रहे थे सब तो मैंने पूछ लिया कि बात क्या है?
भीड़ ने तुरन्त पलटकर पूछा कि तेरी जाति क्या है?”

अब बात करते हैं जातियो से होने वाले भेद भाव की। पहले समय मे छुआछात चरम सीमा पर था। छुआछात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्षुद्रों को तो कोई अपने करीब भी नही आने देता था। बहुत सी कथाएं सुनने को मिल जाएंगी जिसमे ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य समाज क्षुद्रों से नफरत करता था और अपने आसपास भी उन्हें बेठने नही देता था। उन क्षुद्रों पर बहुत से अत्याचार किये जाते थे। पैरों से उन्हें धकेला जाता था, यदि कोई क्षुद्र उच्च मानी जाने वाली जातियों के लोगों के कपड़े को भी हाथ लगा देते थे तो उस कपड़े को ही फेंक दिया जाता था।

उनका जीवन नरक जैसा होता था। जैसे जैसे समाज मे शिक्षा का प्रवेश होने लगा धीरे धीरे जातियों में होने वाली छुआछात कम होने लगी, सबको ज्ञान होने लगा कि सबकी उत्पत्ति एक ही परमात्मा ने की है तथा हम एक ही परमात्मा की संतान है, एक जैसा ही सबका शरीर व लहू है. लोग अब यह भी समझने लगे हैं कि जाति भगवान ने नही… इंसानों ने खुद ही बनाई हैं। बहुत से लोग आंदोलन में उतरे और जातिवाद के खिलाफ आवाज उठाते रहे। जातिवाद को खत्म करने के लिए सन्त कबीर जी, सन्त रविदास जी, डॉक्टर बी.आर. अम्बेडकर जी ने पूरी कोशिश की। जिस कारण से आज समाज मे जातिवाद बहुत ही कम हो गया है। पर पूरी तरह अभी भी समाप्त नही हुआ है।

आज जाति इतनी कॉमन (आम) हो गयी है कि आते जाते कोई भी पूछ लेता है कि तुम्हारी जाति क्या है? हालाकि वर्तमान समय में शिक्षा ने सबको समान बना दिया है। ये जरूरी नही है कि जो गरीब है वो दलित ही होगा, या जो अमीर है तो वो ब्राम्हण या वैश्य ही होगा। आज कोई भी इंसान अमीर हो सकता है तो कोई भी गरीब।

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आज जात – पात के कारण होने वाले भेदभाव में भी कमी आयी है। परंतु जातिवाद देश से अभी भी पूरी तरह से समाप्त नही हुआ है। हम जातिवाद से हटते है तो धर्मों में बंटे हुए मिलते हैं। धर्म के ठेकेदार धर्म के नाम पर लोगों को आपस मे लड़वाते हैं। राजनीति मे जातियों का इस्तेमाल किया जाता हैं। यह सब ज्ञान होने के बावजूद भी मनुष्य एक होते हुए भी अनेकों में बंट जाते हैं जिसका कोई न कोई फायदा उठा ही लेता है।

समाज से जातिवाद खत्म हो, भेद भाव का अंत हो उसके लिए एक महापुरुष सामने आये जिहोने ये नारा दिया कि-

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।

उस महान शख्स या महापुरुष ने इस नारे के जरिये बहुत बड़ी बात 2 पंक्तियों में बयान कर दी। हम सभ जीव हैं, ये ही हमारी वास्तविक जाती है। कोई दलित नहीं, कोई ब्राह्मण नहीं, कोई ऊंच नही, कोई नीच नहीं। एक महान सन्त का कहना है-

ऊंच नीच इस विधि है लोई, कर्म कुकर्म करो जो कोई।

जो अच्छे कर्म करता है वो ऊंच और जो बुरे कर्म करता है वो नीच है। आगे बताया है कि हम सभी मनुष्य हैं और वही हमारा धर्म है। हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन आदि ये सब लोगों ने अपने आप बनाये हैं। भगवान ने तो हमारे लिए मानवता का धर्म बनाया जिसका हमे अनुसरण करना चाहिए। आज लोग इंसान तो है पर आज इंसानियत बहुत कम लोगों में बची है। धर्म, जाति में भेद भाव करने वाले ही इंसान नही रहे।

उस महान शख्सियत ने बताया कि जाति पाति छोड़कर भगवान द्वारा बनाई जाती और धर्म का अनुसरण करो। इंसानियत को जीवित करो, इंसान बनो।

Credit: SA News

प्रिय दर्शकों, जिस महान शख्स ने यह कदम उठाया है वो समाज को एक करने के लिए पूरे जोर से लगे हुए है। समाज मे सब जातियों और धर्मों को खत्म करके एक धर्म- मानव धर्म को शिखर पर लायेगे, ऐसा उनका कहना है।

वो शख्स जाने माने महान सन्त हैं जो समाज से दहेज प्रथा जैसी कुरीति को खत्म कर रहे हैं, जो दहेज रहित शादियां करवा रहे हैं, जो समाज से नशे को दूर कर रहे हैं, जो वाकई में स्वच्छ समाज तैयार कर रहे हैं। उन्हीं के आदेश से उनके अनुयायी जाति-पात में भेद भाव नहीं करते। सबको एक भगवान के बच्चे मानते हैं। सबको एक समान समझते हैं। उस महापुरुष के आश्रम में कोई किसी की जाति नहीं पूछता। वहाँ सब एक समान है। वो महापुरुष जगतगुरु तत्वदर्शी सन्त रामपाल जी महाराज जी हैं जिनके सानिध्य में ये स्वच्छ समाज तैयार हो रहा है।

ऐसा स्वच्छ समाज कौन नहीं चाहेगा जिसमे सब एक समान हो, किसी को अमीरी या गरीबी से न मापा जाए, उनकी जाती से न मापा जाए। सबके साथ एक जैसा व्यवहार हो। सबको एक जैसी शिक्षा मिले, एक जैसा आहार मिले। यही समाज तैयार कर रहे हैं सन्त रामपाल जी महाराज जी। आप सब भी अगर ऐसा समाज चाहते हैं तो उनका अनुसरण करें और उनके मिशन का हिस्सा बने जिससे समाज से बुराइयों का अंत जल्दी हो सके और सभी सुखमय जीवन व्यतीत करें।

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