World AIDS Day 2023 [Hindi]: दुनियाभर में हर साल 01 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day in Hindi) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। सबसे पहले विश्व एड्स दिवस को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत WHO ने अगस्त 1987 में की थी।
किसी भी उम्र के व्यक्ति को कर सकता है प्रभावित
शुरुआती दौर में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था जबकि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. इसके बाद साल 1996 में HIV/AIDS पर संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक स्तर पर इसके प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 में विश्व एड्स अभियान के तहत संचार, रोकथाम और शिक्षा पर काफी काम करना शुरू किया था.
World AIDS Day 2023 [Hindi]: क्या होता है एचआईवी एड्स
HIV एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है. इसे मेडिकल भाषा में ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है. वहीं लोग इसे आम बोलचाल में एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम के नाम से जानते हैं. इसमें जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं हो पाता.
क्या है विश्व एड्स दिवस 2023 की थीम (Theme)
हर साल विश्व एड्स दिवस के लिए एक नई थीम रखी जाती है। इस साल की थीम है, खुद को परीक्षण में लाना एचआईवी को समाप्त करने के लिए समानता प्राप्त करना। WHO द्वारा इस भयावह बीमारी के प्रति जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जाते हैं। आइए जानते हैं क्या है एड्स, इसके लक्षण और इससे कैसे बचा जाए।
विश्व एड्स दिवस का इतिहास (History)
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 1988 में राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day 2023 [Hindi]: ) मनाने की घोषणा की। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो, इस दौरान करीब 90 हजार से 1.5 लाख लोग एचआईवी से पीड़ित थे, जो एड्क का सबसे बड़ा कारण है। वहीं दो दशकों के भीतर संक्रमण दर में विस्फोटक वृद्धि हुई और करीब 33 मिलियन लोग इसके चपेट में आ गए।
वहीं एड्स के संक्रमण का पहला मामला साल 1981 में सामने आया, इस दौरान करीब 25 मिलियन लोग अपनी जान गंवा बैठे थे। इसी के मद्देनजर WHO ने लोगों को इस भयावह बीमारी के प्रति जागरूक करने व शिक्षित करने के लिए प्रतिवर्ष एड्स दिवस मनाने की घोषणा की। इसका असर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देखने को मिला है। पिछले कुछ सालों में इसके मरीजों की संख्या में कमी हुई है।
World AIDS Day 2023 [Hindi]: पहला विश्व एड्स दिवस
World AIDS Day 2023 [Hindi]: पूरा विश्व आज जिस एड्स दिवस को मनाता है, उसकी पहली बार कल्पना 1987 में थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न द्वारा की गई थी। थॉमस नेट्टर और जेम्स डब्ल्यू बन्न दोनों डब्ल्यू.एच.ओ.(विश्व स्वास्थ्य संगठन) जिनेवा, स्विट्जरलैंड के एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के लिए सार्वजनिक सूचना अधिकारी थे। उन्होंने एड्स दिवस का अपना विचार डॉ. जोनाथन मन्न (एड्स ग्लोबल कार्यक्रम के निदेशक) के साथ साझा किया, जिन्होंने इस विचार को स्वीकृति दे दी और वर्ष 1988 से 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
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प्रारंभ में विश्व एड्स दिवस को सिर्फ बच्चों और युवाओं से ही जोड़कर देखा जाता था परन्तु बाद में पता चला कि एचआईवी संक्रमण किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है। जिसके बाद साल 1996 में संयुक्त राष्ट्र ने एड्स का वैश्विक स्तर पर प्रचार और प्रसार का काम संभालते हुए साल 1997 से विश्व एड्स अभियान की शुरुआत की।
World AIDS Day 2023 [Hindi]: वर्ल्ड एड्स डे का उद्देश्य (Aim)
वर्ल्ड एड्स डे मनाने का प्रमुख उद्देश्य एचआईवी संक्रमण की वजह से होने वाली महामारी एड्स के बारे में हर उम्र के लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना है। आज के समय में एड्स सबसे बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है। UNICEF की रिपोर्ट की मानें तो पूरे विश्व में 36.9 मिलियन लोग HIV के शिकार हो चुके हैं। जबकि भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार भारत में एचआईवी (HIV) के रोगियों की संख्या करीब 2.1 मिलियन बताई जा रही है।
क्या है एचआईवी एड्स?
एचआईवी एक प्रकार के जानलेवा इंफेक्शन से होने वाली गंभीर बीमारी है। एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यूलनो डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ (acquired immune deficiency syndrome) है। यह एक तरह का विषाणु है, जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है। इस रोग में जानलेवा इंफेक्शन व्यक्ति के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) पर हमला करता है। जिसकी वजह से शरीर सामान्य बीमारियों से लड़ने में भी अक्षम होने लगता है। खास बात है कि ये बीमारी तीन चरणों (प्राथमिक चरण, चिकित्सा विलंबता होना और एड्स) में होती है।
एड्स से जुड़ी जानकारी
- आज के समय 900 नए बच्चे पूरी दुनिया में हर दिन एड्स का शिकार हो रहे हैं।
- भारत में एड्स का पहला मामला 1986 में सामने आया था।
- 60 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान होने पर एचआईवी के विषाणु मारे जाते हैं।
- एड्स पर बनी पहली हॉलीवुड फिल्म का नाम ‘एंड द बैंड प्लेन ऑन’ था।
World AIDS Day 2023 [Hindi]: एचआईवी का पता कैसे लगाएं
किसी व्यक्ति को एचआईवी है या नहीं, यह जानने का एकमात्र तरीका टेस्ट है. एचआईवी टेस्ट करवाना ही यह निर्धारित करने का एकमात्र तरीका है कि वायरस शरीर में है या नहीं. ऐसे ज्ञात जोखिम कारक हैं जो किसी व्यक्ति के एचआईवी संक्रमित करने की आशंका को बढ़ाते हैं. उदाहरण के लिए, जिन लोगों ने बिना कंडोम का इस्तेमाल किए एक से ज्यादा लोगों से यौन संबंध बनाएं हैं या एक ही सुई को साझा किया है वे अपने डॉक्टर से जांच करवाने का विचार कर सकते हैं.
■ Read in English: World AIDS Day: Sat-Bhakti can Cure HIV / AIDS
World AIDS Day 2023 [Hindi]: एड्स की रोकथाम जरूरी
यूएनएड्स की रिपोर्ट में एड्स की रोकथाम के लिए वैश्विक स्तर पर पांच जरूरी रणनीतियों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है। इसमें महामारी की रोकथाम, तैयारियों और प्रतिक्रिया के लिए विश्व स्तर पर वित्त पोषण को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक समलैंगिक पुरुषों और यौनकर्मियों, इंजेक्शन द्वारा नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले लोगों और कैदियों में एचआईवी संक्रमण का सबसे अधिक खतरा बना हुआ है।
एचआईवी संक्रमण के लक्षणों को पहचानिए
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक एचआईवी संक्रमण का समय पर पता लगना आवश्यक होता है। संक्रमितों में वायरस के शरीर में प्रवेश करने के दो से चार सप्ताह के भीतर फ्लू जैसे लक्षणों को अनुभव हो सकता है। इसके अलावा यदि इस तरह के लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं तो इससे विशेष सावधान हो जाने की जरूरत होती है।
- बुखार और सिरदर्द
- मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
- त्वचा पर असामान्य रूप से चकत्ते होना।
- गले में खराश और मुंह के छाले
- लसीका ग्रंथियां में सूजन मुख्यतः गर्दन पर
- दस्त आना और वजन कम होना
- रात को असामान्य रूप से अधिक पसीना आना।
एचआईवी की स्टेज कितनी होती हैं? | What Are The Stages Of HIV?
जब एचआईवी से पीड़ित लोगों को इलाज नहीं मिलता है, तो वे आमतौर पर तीन स्टेज में आगे बढ़ते हैं, लेकिन एचआईवी दवा रोग की प्रगति को धीमा या रोक सकती है. उपचार में प्रगति के साथ, एचआईवी के शुरुआती दिनों की तुलना में आज स्टेज 3 में प्रगति कम आम है.
- स्टेज 1: तीव्र एचआईवी संक्रमण
- स्टेज 2: जीर्ण एचआईवी संक्रमण
- स्टेज 3: एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (एड्स)
एड्स से बचाव के तरीके – Ways to prevent AIDS in hindi
- एड्स से बचाव के लिए सामान्य व्यक्ति को एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति के वीर्य, योनि स्राव अथवा रक्त के संपर्क में आने से बचना चाहिए। साथ ही साथ एड्स से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए।
- पीड़ित साथी या व्यक्ति के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं करना चाहिए, अगर कर रहे हों तो सावधानीपूर्वक कंडोम का प्रयोग करना चाहिए। लेकिन कंडोम इस्तेमाल करने में भी कंडोम के फटने का खतरा रहता है।
- अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें, एक से अधिक व्यक्ति से यौन संबंध ना रखें।
- खून को अच्छी तरह जांचकर ही उसे चढ़ाना चाहिए। कई बार बिना जांच के खून मरीज को चढ़ा दिया जाता है जोकि गलत है। इसलिए डॉक्टर को खून चढ़ाने से पहले पता करना चाहिए कि कहीं खून एच.आई.वी. दूषित तो नहीं है।
- उपयोग की हुई सुईओं या इंजेक्शन का प्रयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि ये एच.आई.वी. संक्रमित हो सकते हैं।
- दाढ़ी बनवाते समय हमेशा नाई से नया ब्लेड उपयोग करने के लिए कहना चाहिये।
- एड्स से जुड़ी हुई भ्रांतियों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।
- एड्स के बारे में समाज में कुछ मिथक भी लोगो के बीच देखे जाते रहे हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात ये है की एड्स हाथ मिलाने, गले लगने, सामने छींकने, बिना कटी त्वचा को छूने या एक ही शौचालय के उपयोग करने पर कभी नहीं फैलता है।
- अगर आप में किसी के आसपास कोई एचआईवी पॉजिटिव हो, तो उचित जाँच के साथ दवा का सेवन करें, और अपना और अपने साथी का खास ख्याल रखें एड्स के साथ भी लम्बा जीवन जिया जा सकता है
क्या स्थायी समाधान है एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों का?
पृथ्वी पर अनेक प्रकार के कष्टप्रद रोगों से मानव जूझता रहा है, एक बीमारी का समाधान खोजता है तो दूसरी आन खड़ी होती है। एक के बाद एक विकराल बीमारियां या संक्रमण मनुष्य को मौत के मुंह में डाल देते हैं। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य को जो भी कष्ट होते हैं उनका आधार उसके प्रारब्ध कर्म ही होते हैं। कर्म के अनुसार ही मनुष्य इन कष्टों को भोगने के लिए विवश होता है और ना चाहते हुए भी काल का ग्रास बन जाता है। वेदों में प्रमाण है कि पूर्ण परमात्मा अपने सत्य साधक को पूर्ण संत द्वारा दी गई सत्य साधना कराता है और उसे किसी भी असाध्य रोग से मुक्त कर देता है। पूर्ण परमात्मा आवश्यकतानुसार सत्य साधक की आयु भी बढ़ा सकता है।
तत्वज्ञान की मर्यादा है बचाव का रास्ता- संत रामपाल जी महाराज अब तक विश्व में सबसे बड़े समाज सुधारक संत के रूप में उभरे हैं। संत रामपाल जी ने लोगों में दहेजमुक्ति एवं नशामुक्ति की अलख जगाई एवं लाखों का जीवन बदल दिया है। संत रामपाल जी ने तत्वज्ञान के लिए जो मर्यादाएं निर्धारित की हैं वे निश्चित रूप से महत्वपूर्ण हैं जैसे नशामुक्ति अभियान। ड्रग्स में इस्तेमाल की जाने वाली सीरिंज एड्स को फैलाने का बड़ा माध्यम है। परस्त्रीगमन का निषेध अपने आप में एड्स जैसी अन्य बीमारियों से एक बहुत बड़ा बचाव है। उनके द्वारा बताए गए तत्त्वज्ञान से जीवनशैली में सुधार आता है जो शारीरिक एवं आध्यात्मिक सुख प्रदान करती हैं।