Last Updated on 12 June 2024, 11:35 PM IST | World Day Against Child Labour 2024: कोविड-19 के बीच बाल श्रमिकों की संख्या बढ़ती जा रही है। विश्व बाल श्रम निषेध दिवस 2021 पर ‘वीक ऑफ ऐक्शन’ की शुरुआत की गई है। पिछले दिनों एक रिपोर्ट आई थी कि बाल मजदूरों की संख्या बढ़कर 16 करोड़ हो गई है। यह आंकड़ा दो दशक में पहली बार बढ़ा है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) और यूनिसेफ की एक रिपोर्ट कहती है बाल मजदूरी को रोकने की दिशा में प्रगति 20 साल में पहली बार रुकी है। जबकि 2000 से 2016 के बीच बाल श्रम में बच्चों की संख्या 9.4 करोड़ कम हुई थी।
विश्व बाल श्रम निषेध का महत्व
वर्ष 2021 में विश्व में बाल श्रमिकों की संख्या 20 साल में पहली बार बढ़ी है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के हिसाब से बाल श्रम समाजिक असमानता और भेद-भाव को बढ़ावा देता है। बाल श्रम को रोकना काफ़ी आवश्यक है क्योंकि इससे पैदा होने वाले फैक्टर्स जैसे- गरीबी, ट्रांसफर के कारण एक बच्चे पर मानसिक और शारीरिक रूप से काफ़ी बुरा असर पड़ता है। इस बार का आयोजन कोरोना वायरस के कारण वर्चुअल होने वाला है। कोरोना वायरस के कारण कई बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है जिस कारण मज़बूरी में उन्हें बाल श्रम का सहारा लेना पड़ा है।
बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस का इतिहास क्या है?
1919 में, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय श्रम मानकों को स्थापित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्थापना की गई थी। आपको बता दें कि ILO के 187 सदस्य देश हैं। एक दक्षिण प्रशांत द्वीप राष्ट्र, टोंगा का साम्राज्य, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) का 187 वां सदस्य राज्य बन गया। तब से, ILO ने दुनिया भर में श्रम की स्थिति में सुधार के लिए कई सम्मेलन पारित किए हैं। इतना ही नहीं, बाल्कि मजदूरी, काम के घंटे, अनुकूल वातावरण आदि मामलों पर दिशा-निर्देश भी प्रदान करता है।
1973 में, ILO कन्वेंशन नंबर 138 को अपनाया गया और रोजगार के लिए न्यूनतम आयु पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसका उद्देश्य सदस्य राज्यों को रोजगार की न्यूनतम आयु बढ़ाने और बाल श्रम को समाप्त करना है। 1999 में, ILO कन्वेंशन नंबर 182 को अपनाया गया था और इसे “बाल श्रम कन्वेंशन के सबसे खराब रूप” के रूप में भी जाना जाता था। इसका उद्देश्य बाल श्रम के सबसे बुरे रूप को खत्म करने के लिए आवश्यक और तत्काल कार्रवाई करना है।
हर साल रखी जाती अलग थीम (World Day Against Child Labour Theme)
हर साल वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर की थीम डिसाइड की जाती है. 2019 में इसकी थीम ‘बच्चों को खेतों में काम नहीं, बल्कि सपनों पर काम करना चाहिए’ रखी गई थी. ऐसे ही 2020 में इसकी थीम ”बच्चों को कोविड-19 महामारी” रही. कोविड-19 महामारी के फैलने के कारण कई देशों में लॉकडाउन की स्थिति उत्पन्न हुई, इससे कई लोगों की जिंदगी पर असर पड़ा और इस वजह से कई बच्चों की जिंदगी भी प्रभावित हुई है, ऐसी स्थिति में बहुत से बच्चों को बाल श्रम की ओर धकेला भी गया . इस वजह से बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस 2021 की थीम ”कोरोनावायरस के दौर में बच्चों को बचाना” रखी गई. यह दिवस इसलिए भी अहम है क्योंकि यह बच्चों के विकास और उनके हक के लिए आवश्यक चीजों की और ध्यान केंद्रित करता है.
बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस का इतिहास (World Day Against Child Labour History)
5 से 17 आयु वर्ग के कई बच्चे ऐसे काम में लगे हुए हैं जो उन्हें सामान्य बचपन से वंचित करते हैं, जैसे कि पर्याप्त शिक्षा, उचित स्वास्थ्य देखभाल, अवकाश का समय या बस बुनियादी स्वतंत्रता. 2002 में, संयुक्त राष्ट्र की संस्था जो काम की दुनिया को नियंत्रित करती है, इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन ने इसी वजह से वर्ल्ड डे अगेंस्ट चाइल्ड लेबर लॉन्च किया.
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World Day Against Child Labour Quotes
- अगर अभी नहीं तो फिर कब? अगर तुम नहीं तो फिर कौन, अगर हम इन सवालों का जवाब दे सकते हैं तो हम इंसानो की गुलामी को ज़रूर बंद कर सकते हैं।
- बाल श्रम और गरीबी साथ-साथ चलते हैं। अगर आप बाल श्रम को गरीबी मिटाने के लिये इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप गरीबी और बाल श्रम के साथ अंत तक जिएंगे।
- आप बाल श्रम को सही नहीं ठहरा सकते। आप गुलामी को सही नहीं बता सकते। कुछ चीजें बस गलत हैं।
कमजोर होते हैं बच्चों के अधिकार
बालश्रम को दुनिया में खत्म करना आसान नहीं हैं. क्योंकि यह आर्थिक अपराध के साथ सामाजिक समस्या भी है और बच्चों के जीवन तक से खिलवाड़ साबित होता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने कहा है कि बाल श्रम पीढ़ियों की बीच की गरीबी को बढ़ाता है, राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को चुनौती देता है और बाल अधिकार समझौते के द्वारा गारंटी के तौर पर दिए अधिकारों को कमजोर करने का काम करता है.
बाल श्रम के खिलाफ उपाय होने चाहिए कारगर
बाल श्रम समाज में असमानता और भेदभाव के कारण तो होता ही है, यह सामाजिक असमानता और भेदभाव को बढ़ावा भी देता है. विशेषज्ञों का कहना है कि बाल श्रम के खिलाफ उठाया गया किसी भी कारगर कदम को पहचान मिलनी चाहिए और ये प्रयास बच्चों को हो रहे शारीरिक और भावनात्मक नुकसान से निपटने में सक्षम होने चाहिए जो वे गरीब, भेदभाव और विस्थापन के कारण झेल रहे हैं.