kajri Teej 2020 Hindi: आज देश के कई राज्य में मनाया जा रहा है कजरी तीज का त्यौहार। खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की महिलाएं हैं इस व्रत को लेकर काफी उत्साहित।
कजरी तीज को सातूड़ी तीज या बूढी तीज के नाम से भी जाना जाता है। हरियाली तीज यानी छोटी तीज के बाद यह पर्व मनाया जाता है। खासकर यह त्यौहार राजस्थान मध्य प्रदेश बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है।
kajri Teej 2020 Hindi: इस साल कजरी तीज का व्रत कब पड़ रहा है
भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का त्योहार मनाया जाता है, कजरी तीज का यह व्रत इस साल 6 अगस्त गुरुवार को मनाया जा रहा है।
माना जाता है कि इस व्रत को करने से घर में सुख-शांति, समृद्धि, धन धान्य की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ये भी माना जाता है कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या करके इसी दिन भगवान शिव को प्राप्त किया था। इसी कारण से इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।
कजरी तीज व्रत का शुभ मुहूर्त
- तृतीया तिथि को प्रारंभ- सुबह 10:50 पर।
- तृतीया तिथि समाप्ति- रात 12:15 पर।
- चंद्रोदय का समय- रात्री 9 बजकर 8 मिनट पर।
इस पर्व पर खासतौर से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है कई महिलाएं तो पूरे दिन निर्जल रहकर उपवास करती हैं। वहीं कुंवारी लडकियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं। व्रत को रात्री में चंद्रमा निकलने के बाद अर्घ्य देकर ही खोला जाता है।
चंद्रमा को अर्घ्य देना कजरी तीज व्रत में शुभ माना जाता है। सबसे पहले चंद्रमा को मौली, अक्षत और रोली अर्पित की जाती है। इसके बाद अपने यथा स्थान पर खड़े होकर चंद्रमा को अर्घ्य दी जाती है। उसके बाद व्रत को पानी या कुछ मीठा खाकर खोल लिया जाता है।
कजरी तीज पर जानिए पूजा की विधि
- सबसे पहले नीमड़ी माता को रोली, जल और चावल चढ़ाएं और उसके बाद नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली आदि लगाई जाती है।
- नीमड़ी माता को रोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र आदि चढ़ाएं जाते हैं। इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ाकर पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांध दिया जाता है।
- पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाकर माता पार्वती तथा भगवान शिव के मंत्रों का जाप सिमरन करना चाहिए।
- पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए।
kajri Teej 2020 Hindi: कजरी तीज से जुड़ी पौराणिक कथाएं
एक समय की बात है एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने कजरी तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, हे स्वामी आज मेरा तीज का व्रत है। इसलिए मेरे लिए चने का सत्तू लेकर आओ, ब्राह्मण ने कहा कि मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं, इस पर ब्राह्मण की पत्नी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए।
kajri Teej 2020 Hindi: यह बात सुनकर ब्राह्मण रात्री को घर से निकल गया और वह सीधा साहूकार की दुकान में गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बनाकर वापस घर की और चल पड़ा। तभी खटपट की आवाज सुनकर सेठ के नौकर जाग गए और उसे चोर-चोर करके पकड लिया।
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ब्राह्मण ने कहा कि मैं बहुत गरीब हूं और मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है, इसलिए मैंने सिर्फ सवा किलो सत्तू की चोरी की है। ब्राह्मण की तलाशी ली गई तो उसके पास सत्तू के अलावा और कुछ भी नहीं मिला। उधर चांद निकल आया था और ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी, तब सेठ ने कहा कि आज मैं तुम्हारी पत्नी को अपनी धर्म बहन मानूंगा।
सेठ जी ने ब्राह्मण को सत्तू, गहने, रुपये, मेहंदी, लच्छा और बहुत सारा धन देकर विदा कर दिया। और सबने मिलकर कजरी माता की पूजा की।
शास्त्र विरुद्ध साधना व्यर्थ
पवित्र श्रीमद भगवद गीता अध्याय 16 श्लोक 23 और 24 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि अर्जुन शास्त्र विधि को त्याग कर मनमाना आचरण करते हैं उनको न तो किसी प्रकार का लाभ मिलता और ना ही उनके कोई कार्य सिद्ध होते तथा ना ही वे मोक्ष को प्राप्त कर सकते!
शास्त्र अनुकूल भक्ति क्या है
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17 के श्लोक 23 में गीता ज्ञान दाता ने ओम, तत्, सत ये तीन मंत्र मोक्ष के बताएं हैं इन तीन मंत्रों के जाप से ही मुक्ति संभव है तथा इसके अलावा गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में कहा है की उस तत्वज्ञान को तू उन तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ उनको भली-भांति दंडवत प्रणाम करने से वे तुझे तत्वज्ञान का उपदेश करेंगे और फिर जैसे वे साधना बताएं वैसे भक्ति साधना कर उसी से तेरा मोक्ष संभव है
kajri Teej 2020 Hindi: पूर्ण संत की पहचान?
पूर्ण संत के विषय में परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि
सतगुरु के लक्षण कहूं मधुरे बैन विनोद!
चार वेद छह शास्त्र कहै अठारा बोध!!
अर्थात पूर्ण गुरु तत्वदर्शी संत वह होता है जो चार वेद छह शास्त्र 18 पुराण आदि के आधार पर सत्य भक्ति बताता है
पूर्ण गुरु के बिना मुक्ति संभव नहीं परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि
गुरु बिन माला फेरते गुरु बिन देते दान!
गुरु बिन दोनों निष्फल है चाहे पूछो वेद पुराण!!
अर्थात गुरु के बिना यज्ञ हवन तथा भक्ति करने से मोक्ष संभव नहीं है
पूर्ण परमात्मा (अविनाशी पुरुष) कौन है?
वेद गवाही देते हैं की 6 दिन में सृष्टि की रचना करने वाला पाप कर्मों को हरण करने वाला, वह सर्वोउत्पादक प्रभु कबीर साहिब है जो सतलोक के तीसरे मुक्तिधाम में राजा के समान सिंहासन पर विराजमान है
ऋग्वेद मंडल 9 सुक्त 82 मंत्र 1 में लिखा है कि वह सर्वोत्पादक प्रभु , सृष्टि की रचना करने वाला, पाप कर्मो को हरण करने वाला राजा के समान दर्शनीय है इससे सिद्ध हुआ कि परमात्मा साकार है।
पवित्र सामवेद संख्या 359 अध्याय 4 खंड 25 श्लोक 8 में प्रमाण है कि जो (कविर्देव) कबीर साहिब तत्वज्ञान लेकर संसार में आता है वह सर्वशक्तिमान सर्व सुखदाता और सर्व के पूजा करने योग्य है।
पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति कैसे संभव है
पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति सूक्ष्मवेद में वर्णित विधि से होती है जिसके विषय में पवित्र श्रीमदभगवद गीता अध्याय 4 के श्लोक 34 में गीता ज्ञान दाता ने कहा है कि हे अर्जुन उस तत्वज्ञान को जो सूक्ष्म वेद में वर्णित है उस ज्ञान को तू तत्वदर्शी संत के पास जाकर समझ वह तत्वदर्शी संत तुझे उस परमात्म तत्व का ज्ञान कराएंगे।
पवित्र गीता अध्याय 15 के श्लोक 4 में भी कहा है कि तत्वज्ञान की प्राप्ति के पश्चात परमेश्वर के उस परमपद की खोज करनी चाहिए जहां जाने के बाद साधक कभी लौटकर इस संसार में नहीं आते अर्थात पूर्ण मोक्ष प्राप्त कर लेते हैं. अपने जीवन को सफल बनाने के लिए आज ही जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से नामदिक्षा लेकर मानव जीवन को सफल बनाएं और सभी बुराईयो से छुटकारा पाकर सुखी जीवन जिएं।
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