India Wheat Export Ban News [Hindi] | गेहूं निर्यात पर रोक के मसले पर भारत को चीन का साथ मिला है। G7 देशों के समूह ने भारत के गेहूं निर्यात पर रोक लगाने की आलोचना की थी। चीन ने कहा कि भारत जैसे विकसित देशों पर ठीकरा फोड़ने से वैश्विक खाद्य संकट दूर नहीं होगा। चीन के सरकारी मीडिया, ग्लोबल टाइम्स में कहा गया है, ‘अब G7 देशों के कृषि मंत्री भारत से गेहूं निर्यात पर रोक न लगाने को कह रहे हैं, तो फिर G7 देश खुद से अपना निर्यात बढ़ाकर खाद्य बाजार को स्थिर क्यों नहीं करते?’ दुनियाभर में गेहूं के बढ़ते दामों को देखते हुए पिछले हफ्ते भारत ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी।
भारत ने लगाया गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध
भारत ने घरेलू स्तर पर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के उपायों के तहत गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है. आधिकारिक अधिसूचना से यह जानकारी मिली है. हालांकि, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने 13 मई को जारी अधिसूचना में कहा, “इस अधिसूचना की तारीख या उससे पहले जिस खेप के लिए अपरिवर्तनीय ऋण पत्र (एलओसी) जारी किए गए हैं, उसके निर्यात की अनुमति होगी.”
India Wheat Export Ban News [Hindi] | विदेश में रेकॉर्ड ऊंचाई पर गेहूं
भारत के निर्यात पर रोक लगाने के बाद दुनियाभर में गेहूं की कीमतें बढ़कर रेकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। यूरोपीय बाजार खुलते ही वहां गेहूं 453 डॉलर यानी 35,282 रुपये प्रति टन बिका। गेहूं के बड़े निर्यातकों रूस और यूक्रेन में जंग के बाद से गेहूं 60 प्रतिशत तक महंगा हुआ है।
India Wheat Export Ban News [Hindi] | बैन की वजहें
- इस बार रबी के सीजन में गेहूं का उत्पादन घटने का अनुमान है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ने इस वर्ष 11.1.3 करोड़ टन गेहूं के उत्पादन होने का अनुमान लगाया था, मगर बढ़ती गर्मी से गेहूं फसलें नष्ट होने की खबरें आ रही हैं। ऐसे में गेहूं का अनुमानित उत्पादन 10.50 करोड़ टन ही रहने की आशंका है।
- निर्यात बढ़ने से घरेलू बाजार में गेहूं की मांग और उपलब्धता के बीच अंतर बढ़ने लगा। इससे कीमतें चढ़ने लगीं।
सरकार ने गेहूं खरीद की डेट बढ़ाई
केंद्र सरकार ने रबी सीजन में गेहूं खरीद की तारीख बढ़ाकर 31 मई कर दी है। उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वह खरीद जारी रखवाएं। भारतीय खाद्य निगम से भी कहा गया है कि वह पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में सूखे और टूटे अनाज की खरीद के बारे में छूट दे। 18% तक सूखे-टूटे अनाज को खरीदा जाए। जानकारी के अनुसार, गत 14 मई तक 16 करोड़ 83 लाख किसानों से 180 लाख टन गेंहू खरीदा गया है। यह पिछले साल की इस अवधि से कम है। इसलिए खरीद की तारीख बढ़ाई गई है।
भारत ने आखिर गेहूं के एक्सपोर्ट पर क्यों लगाया बैन?
- भारत ने बीते शुक्रवार को गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है, यानी अब भारत विदेशों में गेहूं को नहीं बेचेगा। सरकार ने इसके लिए भारत और पड़ोसी देशों में फूड सिक्योरिटी का हवाला दिया गया है। दरअसल, सरकार ने देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए यह कदम उठाया है।
- सरकार ने कहा है कि अब सिर्फ उसी निर्यात को मंजूरी मिलेगी जिसे पहले ही लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुका है। वहीं उन देशों को भी इसकी सप्लाई की जा सकेगी, जिन्होंने भोजन सुरक्षा की जरूरत को पूरा करने के लिए सप्लाई की अपील की है।
- एक्सपर्ट्स का कहना हैं कि महंगाई के आंकड़े ने सरकार को निर्यात पर बैन लगाने के लिए मजबूर किया है। खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ने से भारत में रिटेल महंगाई की सालाना दर अप्रैल में 8 सालों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
- कॉमर्स सेक्रेट्री बीवीआर सुब्रम्ण्यम कहते हैं कि दुनिया में गेहूं की बढ़ती मांग और आने वाले वक्त में होने वाली संभावित कमी को देखते हुए लोग अनाज का भंडारण कर सकते हैं। ऐसा ना हो इसलिए हमने निर्यात पर रोक लगाई है।
India Wheat Export Ban News [Hindi] | गेहूं की पैदावार में कमी हुई
इस बार गेहूं की पैदावार में कमी का सबसे बड़ा कारण मौसम है। मार्च से हीटवेव स्टार्ट हो गई, जबकि मार्च में गेहूं के लिए 30 डिग्री से ज्यादा टेम्परेचर नहीं होना चाहिए। इसी समय गेहूं में स्टार्च, प्रोटीन और अन्य ड्राई मैटर्स जमा होते हैं।
भारत के गेहूं पर बैन से दुनिया के बाजार में क्या फर्क पड़ेगा?
भारत गेहूं एक्सपोर्ट करने वाले दुनिया के सबसे बड़े देशों में से एक है। घरेलू बाजार में गेहूं से बनने सामानों की कीमतों में हुई वृद्धि की वजह से केंद्र ने गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है। हालांकि, लेटर ऑफ क्रेडिट के साथ मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट के लिए गेहूं का एक्सपोर्ट होता रहेगा। यानी 13 मई से पहले के जिन ऑर्डर के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट जारी हो चुका है, उन्हें एक्सपोर्ट किया जाएगा।
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अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में गेहूं की कीमतों में इस साल की शुरुआत से अब तक ही 60% तक की बढ़ोतरी हो चुकी हैं। अब भारत के प्रतिबंध से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में और बढ़ोतरी होगी। इसका असर दिखना भी शुरू हो गया है। दुनिया के मार्केट में ब्रेड, केक से लेकर नूडल्स और पास्ता तक- हर चीज की कीमत में लगातार बढ़ोतरी हुई है।
भारत को मिला चीन का साथ
पिछले हफ्ते, भारत सरकार ने अपने गेहूं निर्यात को “निषिद्ध” श्रेणी के तहत रखते हुए गेहूं की निर्यात नीति में संशोधन कर दिया और वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि सरकार ने “तत्काल प्रभाव” से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन इस रिपोर्ट के बीच आश्चर्य की बात यह थी कि ग्रुप ऑफ सेवन (जी 7) देशों की आलोचना के बाद चीनी राज्य मीडिया ने भारत के इस फैसला का बचाव किया है। चीनी सरकार के आउटलेट ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि, ‘भारत को दोष देने से खाद्य समस्या का समाधान नहीं होगा’।
ग्लोबल टाइम्स ने क्या कहा?
जी7 की आलोचना के बीच भारत का बचाव करते हुए ग्लोबल टाइम्स की संपादकीय में कहा गया है कि, ‘अब G7 के कृषि मंत्री भारत से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाने का आग्रह करते हैं, तो G7 राष्ट्र अपने निर्यात में वृद्धि करके खाद्य बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने के लिए स्वयं कदम क्यों नहीं उठाते?” ग्लोबल टाइम्स में आगे कहा गया है कि, ‘हालांकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक है, लेकिन, भारत वैश्विक गेहूं निर्यात काफी कम करता है। इसके विपरीत, अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया सहित कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाएं गेहूं के प्रमुख निर्यातकों में से एक हैं’।
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ग्लोबल टाइम्स ने अपने संपादयीक में लिखा है कि, यदि कुछ पश्चिमी देश संभावित वैश्विक खाद्य संकट के मद्देनजर गेहूं के निर्यात को कम करने का खुद भी फैसला लेते हैं, तो वे भारत की आलोचना करने की स्थिति में नहीं होंते हैं, एक ऐसा देश जो अपनी खाद्य आपूर्ति को सुरक्षित करने के दबाव का सामना कर रहा है।
भारत ने क्यों लगाया है प्रतिबंध?
वाणिज्य सचिव ने कहा कि, भारत ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है और इसका मतलब ये नहीं है, कि भारत सरकार गेहूं का निर्यात नहीं करेगी, बल्कि अब अगर किसी भी देश को भारत से गेहूं खरीदना है, तो वो भारत सरकार से संपर्क करे और भारत सरकार उस देश को गेहूं निर्यात करेगी। लेकिन, अब प्राइवेट प्लेयर्स को गेहूं निर्यात नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकारी चैनलों के माध्यम से गेहूं के निर्यात को निर्देशित करने से न केवल हमारे पड़ोसियों और खाद्य-घाटे वाले देशों की वास्तविक जरूरतों को पूरा करना सुनिश्चित होगा, बल्कि मुद्रास्फीति की उम्मीदों पर भी नियंत्रण होगा।
वहीं, गेहूं की उपलब्धता के बारे में बात करते हुए वाणिज्य सचिव सुब्रह्मण्यम ने कहा कि, ‘भारत की खाद्य सुरक्षा के अलावा, सरकार पड़ोसियों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है’। उन्होंने कहा कि नियंत्रण आदेश तीन मुख्य उद्देश्यों को पूरा करता है, “यह देश के लिए खाद्य सुरक्षा को बनाए रखता है, यह संकट में अन्य लोगों की मदद करता है, और एक आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की विश्वसनीयता बनाए रखता है’।