आज Savitribai Phule Jayanti पर आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ख़ास बातों को सांझा करेंगे तथा तथा उनके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातो जैसे सावित्री बाई फुले (Savitribai Phule) की व्यक्तिगत जानकारी, Savitribai Phule जी की मृत्यु कब हुई?, सावित्रीबाई द्वारा किए गये सामाजिक कार्य , सावित्रीबाई का शिक्षा के लिए संघर्ष, Savitribai Phule Quotes, Essay आदि के बारे में Hindi Information देंगे.
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भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं. सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले को भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन की एक अहम शख्सियत माना जाता है.
Savitribai Phule Hindi Information
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सावित्रीबाई फुले की 1840 में 9 साल की उम्र में 13 साल के ज्योतिराव फुले से शादी हो गई थी. सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले. बता दें, साल 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहले बालिका स्कूल की स्थापना की थी. वहीं, अठारहवां स्कूल भी पुणे में ही खोला गया था. उन्होंने 28 जनवरी, 1853 को गर्भवती बलात्कार पीड़ितों के लिए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की.
महिला अधिकार के लिए संघर्ष करने वाली सावित्रीबाई ने विधवाओं के लिए एक केंद्र की स्थापना की और उनको पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अछूतों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वर्ष 1897 में प्लेग फैलने के दौरान उन्होंने पुणे में अपने पुत्र के साथ मिलकर एक अस्पताल खोला और अस्पृश्य माने जाने वाले लोगों का इलाज किया। हालांकि इस दौरान वह स्वयं प्लेग से पीड़ित हो गईं और उसी वर्ष मार्च में उनका निधन हो गया।
सावित्री बाई फुले (Savitribai Phule) की व्यक्तिगत जानकारी
- पूरा नाम: सावित्री बाई फुले
- जन्म तिथि एवं स्थान: 3 जनवरी 1831, नायगांव,, ब्रिटिश भारत (अब सतारा, महाराष्ट्र)
- मृत्यु: 10 मार्च 1897 (आयु 66 वर्ष), पुणे, महाराष्ट्र
- मौत का कारण: बुबोनिक प्लेग
- पिता: खंडोजी नेवशे पाटिल
- माता : लक्ष्मी
- पति: ज्योतिबा फुले
- जाति: माली
- सावित्री बाई फुले की शादी की उम्र:10 वर्ष
- संतान: नहीं थी लेकिन यशवंतराव को गोद लिया था जो कि एक ब्राह्मण विधवा से उत्पन्न पुत्र थे.
कई सामजिक बुराइयों के खिलाफ हुईं खड़ी
सावित्रीबाई ने 19वीं सदी में छुआ-छूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के विरुद्ध अपने पति के साथ मिलकर काम किया. सावित्रीबाई ने आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई की अपने घर में डिलिवरी करवा उसके बच्चे यशंवत को अपने दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया. दत्तक पुत्र यशवंत राव को पाल-पोसकर इन्होंने डॉक्टर बनाया.
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Savitribai Phule जी की मृत्यु कब हुई?
कहा जाता है कि फुले दंपति ने जिस यशवंतराव को गोद लिया था वे एक ब्राह्मण विधवा के बेटे थे. उन्होंने अपने बेटे के साथ मिलकर अस्पताल भी खोला था.इसी अस्पताल में प्लेग महामारी के दौरान सावित्रीबाई प्लेग के मरीज़ों की सेवा करती थीं. एक प्लेग से प्रभावित बच्चे की सेवा करने के कारण उनको भी यह बीमारी हो गई, जिसके कारण उनकी 10 मार्च 1897 को मौत हो गई.
सावित्रीबाई द्वारा किए गये सामाजिक कार्य
सावित्रीबाई ने अपने पति के साथ मिलकर कुल 18 स्कूल खोले थे. इन दोनों लोगों ने मिलकर बालहत्या प्रतिबंधक गृह नामक केयर सेंटर भी खोला था.इसमें बलात्कार से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को बच्चों को जन्म देने और उनके बच्चों को पालने की सुविधा दी जाती थी.
उन्होंने महिला अधिकारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए महिला सेवा मंडल की स्थापना की थी. उन्होंने बाल विवाह के खिलाफ भी अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह की वकालत की थी.
सावित्रीबाई का शिक्षा के लिए संघर्ष
सावित्रीबाई फुले को दकियानूसी लोग पसंद नहीं करते थे. उनके द्वारा शुरू किये गये स्कूल का लोगों ने बहुत विरोध किया था. जब वे पढ़ाने स्कूल जातीं थीं तो लोग अपनी छत से उनके ऊपर गन्दा कूड़ा इत्यादि डालते थे, उनको पत्थर मारते थे. सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में लेकर चलती थीं और स्कूल पहुँच कर गंदी कर दी गई साड़ी बदल लेती थीं. लेकिन उन्होंने इतने विरोधों के बावजूद लड़कियों को पढाना जारी रखा था.
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Savitribai Phule Quotes in Marathi
“समाजाचा विंटाळा असून शेणाचा मारा सोसणारी शाळेची पायरी चढून कायमची दार उघडी करणारी मुलींत शिक्षणाच बीज रोवून 1ली अभ्यासाचा धडा गिरविणारी क्रांतीज्योती सावित्री!”
“तू तुझ्या स्वप्नांची कोमेजून देवू नकोस फुले; तू तर आहेस शिक्षण घेणारी व देणारी पहिली महिला सावित्रीबाई फुले.”
“शिक्षणाची प्रणेती, विद्देची जननी असलेली हि खरी सरस्वती आहे, बघा ना स्त्री म्हणजे या जगातली खरोखर अनोखी बात आहे!”
“तु क्रांतीज्योती तू धैर्याची मूर्ती तू ज्ञानाई, तुझ्या ऋणातून कशी होऊ मी उतराई! मिळाला हक्क शिक्षणाचा तुझ्या कष्टांमुळे, आद्य आणि वंद्य तू आमची लाडकी सावित्री माई!”
“घडलो नसतो मी जर शिकली नसती माली माय, जर नसत्या सावित्रीबाई तर कशी शिकली असती माली माय.”