Shaheedi Diwas 2021: जब अंग्रेजों के अत्याचारों से त्रस्त हमारे देश में चारों ओर हाहाकार मची हुई थी तो ऐसे में इस वीर भूमि ने अनेक वीर सपूत पैदा किए जिन्होंने अंग्रेजों की दास्ता से मुक्ति दिलाने की खातिर हंसते-हंसते देश की खातिर प्राण न्यौछावर कर दिए। इन्हीं में तीन पक्के क्रांतिकारी दोस्त थे, शहीद-ए-आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव। इन तीनों ने अपने प्रगतिशील और क्रांतिकारी विचारों से भारत के नौजवानों में स्वतंत्रता के प्रति ऐसी दीवानगी पैदा कर दी कि अंग्रेज सरकार को डर लगने लगा था कि कहीं उन्हें यह देश छोड़ कर भागना न पड़ जाए।

भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को कौन नहीं जानता है। उन्हीं की याद में 23 मार्च को शहीदी दिवस मनाया जाता है। साल 1931 में इसी दिन तीनों वीर सपूतों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी। लाहौर षड्यंत्र के आरोप में उन्हें फांसी दी गई।
Shaheedi Diwas 2021: दो साल रखा गया जेल
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अप्रैल 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने सेंट्रल असेंबली में बम फेंके थे। बम फेंकने के बाद वहीं पर दोनों ने अपनी गिरफ्तारी भी दे दी थी। इसके बाद करीब दो साल उन्हें जेल में रखा गया। बाद में भगत सिंह को राजगुरु और सुखदेव के साथ फांसी की सजा सुनाई गई।
Shaheedi Diwas 2021: मौत का बदला
लाला लाजपत राय जी की मौत का बदला लेने के लिए 17 दिसम्बर, 1928 को भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेज अफसर सांडर्स पर गोलियां चलाईं और वहां से भाग निकले। हालांकि, वे रक्तपात के पक्ष में नहीं थे लेकिन अंग्रेजों के अत्याचारों और मजदूर विरोधी नीतियों ने उनके भीतर आक्रोश भड़का दिया था। अंग्रेजों को यह जताने के लिए कि उनके अत्याचारों से तंग आकर पूरा भारत जाग उठा है, भगत सिंह ने केंद्रीय असैंबली में बम फैंकने की योजना बनाई। वह यह भी चाहते थे कि किसी भी तरह का खून-खराबा न हो।
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इस काम के लिए उनके दल की सर्वसम्मति से भगत सिंह व बुटकेश्वर दत्त को चुना गया। कार्यक्रम के अनुसार 8 अप्रैल, 1929 को केंद्रीय असैंबली में ऐसी जगह बम फैंके गए थे, जहां कोई मौजूद नहीं था। भगत सिंह चाहते तो वहां से भाग सकते थे लेकिन उन्होंने वहीं अपनी गिरफ्तारी दी। ‘इंकलाब जिंदाबाद’ के नारे लगाते हुए उन्होंने कई पर्चे हवा में उछाले थे ताकि लोगों तक उनका संदेश पहुंच सके।
Shaheedi Diwas 2021: जेल में अध्ययन
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को आज आजादी के जोशीले दीवानों के रूप में जाना जाता है लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि जेल में लम्बे समय तक रहते हुए उन्होंने कई विषयों पर अध्ययन किया और अनेकों लेख लिखे। उनकी शहादत के बाद उनके अनेकों लेख प्रकाशित किए गए जिनके जरिए वे समाज में एक क्रांति लाना चाहते थे। वे एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना चाहते थे जहां सभी संबंध समानता पर आधारित हों व हर व्यक्ति को उसकी मेहनत का पूरा हक मिले।
भगत सिंह बम फेंकने वाले पर्चे में लिखी थी ये बात
तत्कालीन अंग्रेज सरकार के कान खोलने के लिए भगत सिंह ने जो बम फेंका था, उस बम के साथ कुछ पर्चे भी फेंके गए थे, जिसमें लिखा हुआ था कि ‘आदमी को मारा जा सकता है, उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है।’
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भगतसिंह हमेशा चाहते थे कि कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे। इसलिए योजना बनाकर भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। उनकी गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चलाया गया था।
Shaheedi Diwas 2021 Quotes in Hindi
- 1. बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।
- 2. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार, ये दोनों क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
- 3. राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में आजाद है।
- 4. प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं।
- 5. जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
- 6. व्यक्तियों को कुचलकर भी आप उनके विचार नहीं मार सकते हैं।
- 7. निष्ठुर आलोचना और स्वतंत्र विचार ये क्रांतिकारी सोच के दो अहम लक्षण हैं।
- 8. ‘आम तौर पर लोग चीजें जैसी हैं उसी के अभ्यस्त हो जाते हैं। बदलाव के विचार से ही उनकी कंपकंपी छूटने लगती है। इसी निष्क्रियता की भावना को क्रांतिकारी भावना से बदलने की दरकार है।’
- 9. ‘वे मुझे कत्ल कर सकते हैं, मेरे विचारों को नहीं। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं लेकिन मेरे जज्बे को नहीं।’
- 10. अगर बहरों को अपनी बात सुनानी है तो आवाज़ को जोरदार होना होगा. जब हमने बम फेंका तो हमारा उद्देश्य किसी को मारना नहीं था। हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था। अंग्रेजों को भारत छोड़ना और उसे आजाद करना चाहिए।’