Global Hunger Index 2020 India Rank: लॉकडाउन के बाद अभी तक देश में सभी राज्य में स्कूल नहीं खुल पाए हैं। सरकारी स्कूलों में कक्षा 8 तक के बच्चों को स्कूल में दिन का खाना मिलता है, जिसके कारण गरीब बच्चो को मिड-डे मील नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में बड़ी आबादी कुपोषण का शिकार हो रही है।
Global Hunger Index 2020 India Rank [Hindi]
कोरोना के कारण पिछले छह महीने से स्कूलें बंद हैं। इकॉनमी को लेकर लगातार चर्चा हो रही है, लेकिन भूख को लेकर कम चर्चा हुई है। इसके बारे में एक्सपर्ट्स का क्या कहना है उससे पहले साल 2020 के लिए ग्लोबल हंगर इंडेक्स जारी किया गया है। 107 देशों की इस लिस्ट में भारत इस साल 94 वें पायदान पर है। पिछले साल वह 102वें पायदान पर था। यह सीरियस कैटिगरी में आता है। भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषित है।
नेपाल व श्रीलंका पहुंचे मध्यम श्रेणी में
इस इंडेक्स के मुताबिक, बांग्लादेश 75 वें, म्यांमार 78 वें, पाकिस्तान 88 वें , नेपाल 73 वें और श्रीलंका 64 वें स्थान पर हैं। नेपाल और श्रीलंका ‘मध्यम’ श्रेणी में आते हैं जबकि भारत, बांग्लादेश जैसे अन्य देश गंभीर श्रेणी में आते हैं। चीन, बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत सहित 17 देश शीर्ष रैंक पर हैं।
मिड-डे मील योजना फिलहाल बंद
आपको नहीं भूलना चाहिए कि सरकारी स्कूलों में कक्षा 8 तक के बच्चों को स्कूल में दिन का खाना मिलता है। इन बच्चों की उम्र 6-14 साल के बीच होती है। इस योजना के तहत रोजाना करोड़ों बच्चों का पेट भरता है और जरूरी पौष्टिक आहार मिलता है। भारत में करोड़ों गरीब बच्चों का एक समय का पेट इसी योजना से भरता था। अभी यह बंद है। लॉकडाउन जब लागू किया गया था उसके बाद से लगातार इसको लेकर एक्सपर्ट अपनी सलाह दे रहे हैं। उनका साफ-साफ कहना है कि इसका असर आने वाले समय में दिखेगा।
14 फीसदी आबादी कुपोषित
GHI की रिपोर्ट के अनुसार भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण की शिकार है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत थी। इसके अलावा ऐसे बच्चों की दर 37.4 थी जो कुपोषण के कारण नहीं बढ़ पाते। बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के लिए 1991 से अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि वैसे परिवारों में बच्चों के कद नहीं बढ़ पाने के मामले ज्यादा है जो विभिन्न प्रकार की कमी से पीड़ित हैं। इनमें पौष्टिक भोजन की कमी, मातृ शिक्षा का निम्न स्तर और गरीबी आदि शामिल हैं
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index 2020) की रिपोर्ट में भारत की हालत गंभीर
भारत वैश्विक भूख सूचकांक 2020 में 107 देशों की सूची में 94 वें स्थान पर है और भूख की ”गंभीर” श्रेणी में है. विशेषज्ञों ने इसके लिए खराब कार्यान्वयन प्रक्रियाओं, प्रभावी निगरानी की कमी, कुपोषण से निपटने का उदासीन दृष्टिकोण और बड़े राज्यों के खराब प्रदर्शन को दोषी ठहराया. पिछले साल 117 देशों की सूची में भारत का स्थान 102 था. पड़ोसी बांग्लादेश, म्यामां और पाकिस्तान भी ”गंभीर” श्रेणी में हैं. लेकिन इस साल के भूख सूचकांक में भारत से ऊपर हैं. बांग्लादेश 75 वें, म्यामां 78 वें और पाकिस्तान 88 वें स्थान पर हैं.
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रिपोर्ट के अनुसार, नेपाल 73 वें और श्रीलंका 64 वें स्थान पर हैं. दोनों देश ‘मध्यम’ श्रेणी में आते हैं. चीन, बेलारूस, यूक्रेन, तुर्की, क्यूबा और कुवैत सहित 17 देश भूख और कुपोषण पर नजर रखने वाले वैश्विक भूख सूचकांक (जीएचआई) में शीर्ष रैंक पर हैं. जीएचआई की वेबसाइट पर शुक्रवार को यह जानकारी दी गयी है.
भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण की शिकार: Report
रिपोर्ट के अनुसार भारत की 14 फीसदी आबादी कुपोषण की शिकार है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत थी. इसके अलावा ऐसे बच्चों की दर 37.4 थी जो कुपोषण के कारण नहीं बढ़ पाते. बांग्लादेश, भारत, नेपाल और पाकिस्तान के लिए 1991 से अब तक के आंकड़ों से पता चलता है कि वैसे परिवारों में बच्चों के कद नहीं बढ़ पाने के मामले ज्यादा है जो विभिन्न प्रकार की कमी से पीड़ित हैं. इनमें पौष्टिक भोजन की कमी, मातृ शिक्षा का निम्न स्तर और गरीबी आदि शामिल हैं.
इस अवधि के दौरान भारत में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर में कमी दर्ज की गयी. रिपोर्ट में कहा गया है कि समय से पहले जन्म और कम वजन के कारण बच्चों की मृत्यु दर विशेष रूप से गरीब राज्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी है. विशेषज्ञों का मानना है कि खराब क्रियान्वयन प्रक्रिया, प्रभावी निगरानी की कमी और कुपोषण से निपटने के लिए दृष्टिकोण में समन्वय का अभाव अक्सर खराब पोषण सूचकांकों का कारण होते हैं.
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान का ब्यान
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान, नयी दिल्ली में वरिष्ठ शोधकर्ता पूर्णिमा मेनन ने कहा कि भारत की रैंकिंग में समग्र परिवर्तन के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश जैसे बड़े राज्यों के प्रदर्शन में सुधार की आवश्यकता है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा:
‘‘ राष्ट्रीय औसत उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों से बहुत अधिक प्रभावित होता है… जिन राज्यों में वास्तव में कुपोषण अधिक है और वे देश की आबादी में खासा योगदान करते हैं.”
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में पैदा होने वाला हर पांचवां बच्चा उत्तर प्रदेश में है. इसलिए यदि उच्च आबादी वाले राज्य में कुपोषण का स्तर अधिक है तो यह भारत के औसत में बहुत योगदान देगा. स्पष्ट है कि तब भारत का औसत धीमी होगा.” मेनन ने कहा अगर हम भारत में बदलाव चाहते हैं, तो हमें उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश और बिहार में भी बदलाव की आवश्यकता होगी.
न्यूट्रीशन रिसर्च की प्रमुख श्वेता खंडेलवाल ने (Global Hunger Index 2020) पर क्या कहा
न्यूट्रीशन रिसर्च की प्रमुख श्वेता खंडेलवाल ने कहा कि देश में पोषण के लिए कई कार्यक्रम और नीतियां हैं लेकिन जमीनी हकीकत काफी निराशाजनक है. उन्होंने पीटीआई-भाषा से बातचीत करते हुए महामारी के कारण अभाव की समस्या को कम करने के लिए कई उपाय सुझाए. उन्होंने कहा कि पौष्टिक, सुरक्षित और सस्ता आहार तक पहुंच को बढ़ावा देना, मातृ और बाल पोषण में सुधार लाने के लिए निवेश करना, बच्चे का वजन कम होने पर शुरुआती समय में पता लगाने और उपचार के साथ ही कमजोर बच्चों के लिए पौष्टिक और सुरक्षित भोजन महत्वपूर्ण हो सकते हैं.