पुणे, महाराष्ट्र में Guillain-Barre Syndrome (GBS) के मामलों में अचानक बढ़ोतरी देखी जा रही है। गुरुवार को पुणे नगर निगम की सहायक स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. वैशाली जाधव ने जानकारी दी कि अब तक इस सिंड्रोम के कुल 67 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 43 पुरुष और 24 महिलाएं शामिल हैं। इन मरीजों में से 13 को गंभीर स्थिति में वेंटिलेटर पर रखा गया है।
Guillain-Barre Syndrome (GBS): मुख्य बिंदु
- डॉ.सुधीर ने बताया क्या है Guillain-Barre Syndrome (GBS)
- बढ़ती मरीजों की संख्या से मामला हुआ गंभीर
- राज्य स्वस्थ विभाग ने की रैपिड रिस्पांस टीम का गठन
- इन लक्षणों से होती है बीमारी की पहचान
- Guillain-Barre Syndrome (GBS) से बचाव के उपाय
- इन तकनीकों से हो रहा इलाज
- आध्यात्म में असंभव कुछ भी नहीं
क्या है Guillain-Barre Syndrome (GBS)?
Guillain-Barre Syndrome (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर पोस्ट-इंफेक्शियस न्यूरोलॉजिकल बीमारी है। यह आमतौर पर वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद होती है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार के अनुसार, “GBS एक पोस्ट-इंफेक्शियस न्यूरोलॉजिकल स्थिति है।
यह आमतौर पर किसी वायरस या बैक्टीरिया संक्रमण के बाद होती है। इसमें मरीजों को आमतौर पर श्वसन (जैसे बुखार, खांसी, नाक बहना) या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण (जैसे पेट दर्द, दस्त) के लक्षण संक्रमण के दो हफ्ते पहले दिखाई देते हैं।”
डॉ. कुमार ने यह भी बताया कि कुछ मामलों में यह स्थिति टीकाकरण के बाद भी विकसित हो सकती है। यह स्थिति तेजी से तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करती है, जिससे कमजोरी, झुनझुनी और गंभीर मामलों में लकवा जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
प्रभावित मरीजों की स्थिति
मामले की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 67 मरीजों में से 13 को वेंटिलेटर सपोर्ट की आवश्यकता है। इनमें एक 64 वर्षीय महिला की इस बीमारी के कारण मृत्यु हो चुकी है। पुणे नगर निगम और राज्य स्वास्थ्य विभाग इस बीमारी के कारणों और इसके अचानक बढ़ने के पीछे की वजहों की जांच कर रहे हैं।
तेजी से बढ़ते मामलों की जांच के लिए टीम गठित
मंगलवार को राज्य स्वास्थ्य विभाग ने Guillain-Barre Syndrome (GBS) के इन बढ़ते मामलों की जांच के लिए एक रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) का गठन किया है। इस टीम का उद्देश्य बीमारी के फैलने के कारणों की पहचान करना और प्रभावित मरीजों के लिए उचित चिकित्सा प्रबंधन सुनिश्चित करना है। शुरुआती जांच में 24 संदिग्ध मामलों की पुष्टि हुई थी, लेकिन अब यह संख्या 67 तक पहुंच चुकी है।
बीमारी के लक्षण और प्रभाव
Guillain-Barre Syndrome (GBS) के मरीजों में शुरुआती लक्षणों में झुनझुनी, कमजोरी और चलने-फिरने में दिक्कत शामिल हैं। बीमारी के बढ़ने पर यह स्थिति गंभीर हो जाती है, जिससे मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। यही वजह है कि कई मरीजों को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।
GBS से बचाव और रोकथाम
विशेषज्ञों के अनुसार, Guillain-Barre Syndrome (GBS) को पूरी तरह से रोक पाना संभव नहीं है, लेकिन इसके जोखिम को कम किया जा सकता है। Guillain-Barre Syndrome (GBS) महामारी का रूप नहीं ले सकता, डाक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि इलाज के बाद मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। संक्रमण से बचाव के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं:
- स्वच्छता का पालन: नियमित रूप से हाथ धोना और साफ-सफाई का ध्यान रखना।
- संक्रमण से बचाव: वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण से बचने के लिए स्वस्थ खानपान और इम्यूनिटी बढ़ाने वाले उपाय अपनाना।
- टीकाकरण: टीकाकरण के बाद किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना।
चिकित्सा प्रबंधन
Guillain-Barre Syndrome (GBS) के इलाज में इम्यूनोथैरेपी और प्लाज्मा एक्सचेंज तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, फिजिकल थैरेपी और रिकवरी के लिए मरीजों को लंबे समय तक निगरानी में रखा जाता है।
लोगों का जागरूक और सतर्क होना जरूरी
Guillain-Barre Syndrome (GBS) के बढ़ते मामलों ने पुणे में स्वास्थ्य अधिकारियों और डॉक्टरों को सतर्क कर दिया है। इस बीमारी की जटिलता और गंभीरता को देखते हुए लोगों को जागरूक होना जरूरी है। यदि किसी को कमजोरी, झुनझुनी या अन्य असामान्य लक्षण महसूस हों, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। पुणे में स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच और रोकथाम के प्रयास जारी हैं।
क्या आध्यात्म में संभव है Guillain-Barre Syndrome (GBS) का इलाज?
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