सृष्टि का संचालन: विज्ञान, धर्म और आत्मज्ञान के आईने में

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इस सृष्टि का संचालन कोई-न-कोई तो कर ही रहा है—तभी तो यहां की सारी व्यवस्थाएं एक नियमित क्रम में चल रही हैं। जगत के सभी जीव—पशु, पक्षी, जलचर, नभचर, थलचर—हर एक के लिए भोजन, पानी और रहने की व्यवस्था बनी हुई है। सोचकर देखो, जैसे एक पिता अपने पूरे परिवार का पालन-पोषण करता है, वैसे ही यह सृष्टि भी किसी के द्वारा संचालित हो रही है।

समय पर वर्षा, गर्मी-सर्दी का आना, दिन-रात का बदलना, जन्म और मरण जैसी प्रक्रियाएं बिल्कुल निश्चित समय पर होती हैं। यह एक गंभीर और विचारणीय प्रश्न है: आखिर कौन है जो इस सम्पूर्ण सृष्टि चक्र का संचालन कर रहा है?

आज तक इसका कोई प्रमाणिक और सर्वमान्य उत्तर नहीं मिल पाया है, क्योंकि लोगों की मान्यताएं भिन्न-भिन्न हैं। कोई इसे भगवान की शक्ति मानता है, तो कोई इसे प्राकृतिक नियम या वैज्ञानिक कारण बताता है। सब यह मानते हैं कि जिसने जन्म लिया है, उसकी मृत्यु निश्चित है—लेकिन इसका संचालन कौन कर रहा है, इस पर कोई एक मत नहीं है।

इतना तो तय है कि कोई न कोई है, जो इस समस्त सृष्टि का पालन-पोषण करते हुए संचालन कर रहा है, और उसी की इच्छा से यहां सब कुछ हो रहा है।

देखो तो कहीं बर्फीली हवा है, कहीं गर्म रेगिस्तान, कहीं बहती नदियां, तो कहीं चहचहाते पक्षी और प्राकृतिक हरियाली। ये सारी सुंदरताएं—यह पूरी सृष्टि—किसी अदृश्य शक्ति का चमत्कार हैं। और वही शक्ति इस सृष्टि का संचालन कर रही है।

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सृष्टि का चक्र – एक प्राकृतिक और आध्यात्मिक अवधारणा

सृष्टि चक्र ब्रह्मांड और जीवन की चक्रीय प्रक्रिया को दर्शाता है। यह विभिन्न धर्मों और दर्शनों में भिन्न-भिन्न रूपों में वर्णित किया गया है, लेकिन मूल विचार यही है कि सृष्टि का निर्माण, पालन और विनाश एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

सृष्टि के चक्र की तीन अवस्थाएं:

  1. सृजन – जहां ब्रह्मांड और जीवों की उत्पत्ति होती है।
  2. पालन – जहां जीवन और सृष्टि का विस्तार और संरक्षण होता है।
  3. विनाश – जहां सब कुछ समाप्त होता है ताकि पुनः सृजन हो सके।

हिंदू धर्म में सृष्टि चक्र

हिंदू धर्म में सृष्टि चक्र को त्रिदेव—ब्रह्मा, विष्णु और महेश—के माध्यम से समझाया गया है:

  • ब्रह्मा: सृजनकर्ता
  • विष्णु: पालनकर्ता
  • महेश (शिव): विनाशक

अन्य धर्मों और दृष्टिकोणों में सृष्टि चक्र

बौद्ध धर्म:

सृष्टि चक्र को जन्म, मृत्यु और पुनर्जन्म के क्रम में देखा गया है।

प्राकृतिक दृष्टिकोण:

ऋतुओं का बदलाव, दिन और रात का क्रम—ये सभी सृष्टि के चक्रीय स्वरूप को दर्शाते हैं।

सृष्टि का संचालन – जटिल और बहुस्तरीय प्रक्रिया

प्राकृतिक नियम:

  • भौतिक नियम: जैसे गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुंबकत्व, ऊष्मागतिकी
  • जीवन चक्र: जन्म, विकास, प्रजनन और मृत्यु

आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण:

  • ईश्वरीय नियंत्रण: ईश्वर या उच्च शक्ति का संचालन
  • कर्म और पुनर्जन्म: आत्मा की यात्रा, कर्मफल के सिद्धांत

वैज्ञानिक दृष्टिकोण:

  • ब्रह्मांड का विकास – खगोलभौतिकी के अनुसार विस्तार और विस्फोट
  • जीवन की उत्पत्ति – कोशिकीय विकास और जैविक चक्र

सृष्टि संचालन और कर्म सिद्धांत: क्या हम इसके लिए स्वयं जिम्मेदार हैं?

कई धार्मिक मान्यताएं मानती हैं कि जीव की स्थिति उसके कर्मों का परिणाम होती है। सृष्टि का संचालन केवल परमात्मा की व्यवस्था नहीं, बल्कि हमारे कर्मों की प्रतिक्रिया भी है। यही कारण है कि समान परिस्थितियों में भी दो व्यक्तियों का जीवन अलग हो सकता है। कर्म सिद्धांत ब्रह्मांड के न्यायिक संतुलन की नींव है।

आधुनिक विज्ञान और सृष्टि का मूल प्रश्न

विज्ञान बिग बैंग, विकासवाद, और गुरुत्व जैसी शक्तियों से सृष्टि को समझाने का प्रयास करता है। लेकिन अभी भी प्रश्न शेष है:

बिग बैंग से पहले क्या था?

जीवन को गति देने वाली ऊर्जा कहां से आई?

विज्ञान ‘कैसे’ के उत्तर दे सकता है, लेकिन ‘क्यों’ का उत्तर केवल आत्मज्ञान दे सकता है।

आत्मज्ञान और संतों की भूमिका: रहस्य से उत्तर तक की यात्रा

जब हम तत्वदर्शी संतों की शरण लेते हैं, तो सृष्टि का रहस्य खुलने लगता है। संत रामपाल जी महाराज ने वेदों, पुराणों और कबीर वाणी से प्रमाण देकर बताया है कि इस सृष्टि का संचालन कोई काल या देवता नहीं, बल्कि परमेश्वर कबीर साहेब कर रहे हैं। यह ज्ञान केवल आस्था नहीं, बल्कि प्रमाण सहित प्रस्तुत सतज्ञान है।

क्या सृष्टि चक्र अनंत है? पुनः सृजन की अवधारणा

हिंदू धर्म में कल्प और युगों की अवधारणा, बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म चक्र, और संत मत में सतलोक से असली सृष्टि का ज्ञान — ये सभी बताते हैं कि यह संसार नश्वर है, और एक समय के बाद फिर नया सृजन होता है। इस ज्ञान से यह समझ आता है कि सृष्टि की अंतिम मंज़िल मोक्ष है—not endless cycle.

निष्क्रिय विश्वास नहीं, सक्रिय खोज चाहिए

केवल यह मानना कि “कोई है जो चला रहा है,” पर्याप्त नहीं है। आवश्यकता है उसे जानने की, समझने की, और उससे जुड़ने की। शास्त्र भी कहते हैं:

“तत्वदर्शी संत की शरण लो, वही तुम्हें परम तत्व का ज्ञान कराएगा।”

संत रामपाल जी महाराज का समाधान

जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने स्पष्ट किया है कि सृष्टि का संचालन, पालन और नियंत्रण परमेश्वर कबीर साहेब द्वारा किया जा रहा है। वही पूर्ण ब्रह्म हैं, जिनकी महिमा सभी शास्त्रों में वर्णित है। उन्होंने सतज्ञान के माध्यम से बताया कि यह सृष्टि चक्र केवल प्राकृतिक घटना नहीं, बल्कि ईश्वर की नियोजित प्रक्रिया है, और आत्मा का उद्देश्य है इस चक्र से मुक्त होकर सतलोक पहुँचना।

निष्कर्ष: यह अब रहस्य नहीं रहा

विज्ञान जहां रुक जाता है, धर्म जहां बँट जाता है, वहीं सतज्ञान एक समग्र उत्तर देता है।

सृष्टि का संचालन कोई संयोग नहीं, यह एक परम योजना है।

और उस परम योजना के निर्माता हैं परमात्मा कबीर साहेब।

जानिए और गहराई से:

देखें और सुनें:

Sant Rampal Ji Maharaj के सत्संग – Satlok Ashram YouTube Channel

विज़िट करें:

www.jagatgururampalji.org

यह सृष्टि चक्र केवल बौद्धिक चर्चा नहीं, बल्कि आत्मिक यात्रा का प्रवेश द्वार है।

और अब आपके पास वह उत्तर है, जो युगों से खोजा जा रहा था।

FAQs: सृष्टि चक्र 

Q. सृष्टि का संचालन कौन कर रहा है?

Ans: एक सर्वशक्तिमान शक्ति – परमेश्वर कबीर साहेब, जिनके बिना यह व्यवस्था असम्भव है।

Q. सृष्टि चक्र क्या है?

Ans: यह जीवन और ब्रह्मांड की सृजन, पालन और विनाश की चक्रीय प्रक्रिया है।

Q. सृष्टि क्या है?

Ans: यह परमात्मा की बनाई हुई रचना है, जो उनके आदेश से संचालित हो रही है।

Q. सृष्टि के संचालन की प्रमाणिक जानकारी कौन दे सकता है?

Ans: तत्वदर्शी संत – जगतगुरु संत रामपाल जी महाराज।

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